Edited By Swati Sharma, Updated: 29 Mar, 2023 01:35 PM

निगरानी के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी की अदालत में लंबित जमानत पर बहस करते हुए पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद के वकील राजकुमार ने कहा कि इस अदालत द्वारा बार-बार मांगे जाने के बावजूद जांच पदाधिकारी (आईओ) ने केस डायरी प्रस्तुत नहीं किया बल्कि पत्र के...
पटनाः बिहार में पटना व्यवहार न्यायालय स्थिति निगरानी की विशेष अदालत में मगध विश्वविद्यालय (एमयू) में कॉपी एवं ई-बुक की खरीद घोटाले के मामले में अनुसंधानकर्ता को पूछा गया कि जब ये मामला पटना व्यवहार न्यायालय स्थिति निगरानी की विशेष अदालत में कई दिनों से जारी है तो फिर आरोप पत्र एवं केस डायरी को गया जिले के सीजेएम की अदालत में क्यों दाखिल किया गया।
31 मार्च को उपस्थित होने का दिया आदेश
विशेष लोक अभियोजक के कनिष्ठ अधिवक्ता आनंद सिंह ने कहा कि कोई भी आरोपपत्र लोक अभियोजक के माध्यम से ही दाखिल किया जाना चाहिए, जो इस केस में नहीं हुआ है। वहीं अब दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने इस मामले में 31 मार्च की तिथि निश्चित की है। साथ ही इस मामले के आईओ को उपस्थित होकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। अदालत ने इस आदेश की प्रति विशेष निगरानी इकाई के आरक्षी अधीक्षक को भी भेजे जाने का आदेश दिया है।
न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में समर्पित की जा चुकी है केस डायरी
बता दें कि निगरानी के विशेष न्यायाधीश की अदालत में बहस करते हुए पूर्व कुलपति राजेंद्र प्रसाद के वकील ने कहा कि इस अदालत द्वारा बार-बार मांगे जाने के बावजूद जांच पदाधिकारी (आईओ) ने केस डायरी प्रस्तुत नहीं की, जबकि पत्र के जरिए सूचित किया है कि आरोप पत्र एवं केस डायरी गया जिले के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में समर्पित की जा चुकी है। वकील ने इसे स्थापित प्रक्रिया का उल्लंघन बताया है।