‘नालंदा महाविहार' के आसपास अतिक्रमण को लेकर एएसआई ने बिहार सरकार को लिखा पत्र

Edited By Ramanjot, Updated: 23 Jul, 2023 04:14 PM

asi writes letter to bihar government

एएसआई के पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य ने बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव (एसीएस) हरजोत कौर बम्हरा को लिखे पत्र में कहा है, “यदि स्थानीय प्रशासन को खाली भूमि को अपने पास रखना मुश्किल लगता है, तो...

पटना: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने बिहार के नालंदा जिले में विश्व धरोहर स्थल ‘नालंदा महाविहार' के आसपास अतिक्रमण और इसके प्रति स्थानीय प्रशासन की कथित ‘उदासीनता' को लेकर बिहार सरकार को पत्र लिखा है। 

एएसआई के पटना सर्कल की अधीक्षण पुरातत्वविद गौतमी भट्टाचार्य ने बिहार सरकार के कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की अपर मुख्य सचिव (एसीएस) हरजोत कौर बम्हरा को लिखे पत्र में कहा है, “यदि स्थानीय प्रशासन को खाली भूमि को अपने पास रखना मुश्किल लगता है, तो इसके संरक्षण का जिम्मा एएसआई को सौंपा जा सकता है, ताकि उक्त स्थल का रखरखाव किया जा सके।” भट्टाचार्य ने 21 जुलाई को लिखे पत्र में कहा है कि वर्तमान में एएसआई का क्षेत्राधिकार चहारदीवारी से परे खर्च की अनुमति नहीं देता है। 

भट्टाचार्य ने कहा, “नालंदा में ‘नालंदा महाविहार' और पुरातत्व संग्रहालय के आसपास बार-बार होने वाला अतिक्रमण विश्व धरोहर स्थल के उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य (ओयूवी) और इसकी प्रामाणिकता एवं अखंडता को बनाए रखने के लिहाज से अच्छा संकेत नहीं है। सभी हितधारकों की संतुष्टि के लिए इस समस्या को जल्द से जल्द हल करने की जरूरत है, ताकि विश्व धरोहर स्थल की पवित्रता से समझौता न हो।” बिहार की राजधानी पटना से लगभग 95 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित नालंदा महाविहार को प्राचीन काल के महानतम विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है। बताया जाता है कि इसकी स्थापना गुप्त वंश के कुमारगुप्त प्रथम (413-455 ई.) ने की थी। 

भट्टाचार्य ने अपने पत्र में लिखा है, “यह पत्र आपके संज्ञान में लाने के लिए है कि जुलाई 2016 में नालंदा महाविहार के उत्खनन अवशेषों को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किए जाते समय स्थानीय प्रशासन ने उसके आसपास के क्षेत्रों के संबंध में कुछ प्रतिबद्धताएं व्यक्त की थीं। इनमें विश्व धरोहर संपत्ति के लिए मुख्य मार्ग को बेहतर बनाने का प्रावधान प्रमुख था।” उन्होंने लिखा है, “विश्व धरोहर स्थल की चहारदीवारी के साथ-साथ सड़क के दूसरी ओर स्थित पुरातत्व संग्रहालय के किनारे रेहड़ी लगाने वाले विक्रेताओं को स्थानांतरित करना भी स्थानीय प्रशासन की प्रतिबद्धताओं में शामिल था, जिसके अनुपालन के लिए नालंदा के जिलाधिकारी को भी एक पत्र भेजा गया है।” 
 

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