Edited By Ramanjot, Updated: 07 Dec, 2023 10:12 AM
![b ed degree holders are not eligible for appointment as primary school teacher](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2023_12image_10_11_243559388patna-ll.jpg)
पीठ ने 2021 और 2022 में विभाग द्वारा बड़ी संख्या में की गई प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा, “रिट याचिकाओं को इस निष्कर्ष के साथ अनुमति दी जाती है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा जारी 28...
पटना: पटना उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि बीएड डिग्री धारकों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है। पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति राजीव रॉय की पीठ ने फैसला सुनाया कि ‘‘प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा वाले उम्मीदवार प्राथमिक विद्यालय शिक्षण नौकरियों के लिए पात्र हैं। बीएड डिग्री वाले उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।''
पीठ ने 2021 और 2022 में विभाग द्वारा बड़ी संख्या में की गई प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा, “रिट याचिकाओं को इस निष्कर्ष के साथ अनुमति दी जाती है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा जारी 28 जून, 2018 की अधिसूचना अब लागू नहीं है और बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है। यह कहने की जरूरत नहीं है कि की गई नियुक्तियों पर फिर से काम करना होगा।'' इस आदेश को छह दिसंबर को पटना उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया था कि प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा धारकों को ही प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
एनसीटीई की 2018 में जारी अधिसूचना को किया रद्द
उच्चतम न्यायालय ने कहा, "बीएड डिग्री धारकों को बच्चों को संभालने के लिए शैक्षणिक कौशल के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।" शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही एनसीटीई की 2018 में जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के लिए योग्यता के रूप में बीएड निर्दिष्ट किया गया था। उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत हम उच्चतम न्यायालय के फैसले से बंधे हैं और राज्य भी...।''