Edited By Ramanjot, Updated: 08 May, 2025 09:57 PM

बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने राज्य के मत्स्य पालकों के लिए मई माह में मछली पालन संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस महीने तापमान और आर्द्रता में वृद्धि के कारण मछलियों के स्वास्थ्य एवं तालाब प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की...
पटना:बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने राज्य के मत्स्य पालकों के लिए मई माह में मछली पालन संबंधी आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इस महीने तापमान और आर्द्रता में वृद्धि के कारण मछलियों के स्वास्थ्य एवं तालाब प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। विभाग ने अपने दिशा-निर्देश में कहा है कि मई माह में मछलियों के स्वास्थ्य और विकास के लिए संतुलित आहार देना आवश्यक है। इस माह पूरक आहार सही मात्रा, गुणवत्ता और समय पर दें। मछलियों का वजन 1-1.5 किलोग्राम होने पर बिक्री के लिए निकासी कर लें। मछली निकालने से एक दिन पहले आहार देना बंद कर दें, ताकि पाचन तंत्र साफ रहे।
इस माह तालाब के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसलिए गोबर और चूना एक साथ न डालें, क्योंकि इससे पानी की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। अत्यधिक गर्मी और वर्षा के कारण ऑक्सीजन की कमी हो सकती है। इससे बचने के लिए आवश्यतानुसार SSP या DAP का छिड़काव करें या एयरेटर का उपयोग करें। यदि पानी का रंग हरा हो जाए, तो चूना और रासायनिक खाद का प्रयोग 15 दिन से लेकर एक महीने तक के लिए रोक दें।
मत्स्य बीज उत्पादकों के लिए मई माह सिल्वर कार्प की ब्रीडिंग शुरू करने का उचित समय है। इसके लिए पहले नर्सरी तालाब को सुखाकर गोबर (1000-2000 किलोग्राम/एकड़) और चूना (50 किलोग्राम/एकड़) डालें, फिर पानी भरकर 20 लाख स्पॉन प्रति एकड़ की दर से संचयन करें। यहां ध्यान रखने की बात है कि मत्स्य बीज का परिवहन हमेशा ठंडे वातावरण में करें। मछली के बीज (फिंगरलिंग/इयरलिंग) को तालाब में डालने का सही समय सुबह 8 से 12 बजे के बीच है, क्योंकि इस समय तापमान अनुकूल होता है।
मई माह में अचानक होने वाली वर्षा से तालाब का पानी प्रभावित हो सकता है। इसके लिए वर्षा के बाद तालाब में 15-20 किलोग्राम चूना प्रति एकड़ डालें, ताकि पानी का pH संतुलित रहे। अधिक वर्षा होने पर तालाब के आसपास जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के दिशा-निर्देश के अनुसार मई माह में मत्स्य पालकों को तालाब प्रबंधन, आहार नियंत्रण और मत्स्य बीज उत्पादन पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उचित देखभाल और वैज्ञानिक तकनीकों का पालन करके मछली उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है और आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।