Edited By Swati Sharma, Updated: 05 May, 2023 10:58 AM

उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि अदालत के फैसले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करते लेकिन इस फैसले से समाज के पिछड़े, वंचित और शोषित तबके को मायूसी हुई है। कुशवाहा ने कहा कि बिहार की नीतीश सरकार की कमजोरी की वजह से पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने का...
पटनाः बिहार में हो रही जातीय आधारित गणना पर गुरुवार को पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। पटना हाईकोर्ट के फैसले पर राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि 'सरकार की लापरवाही' के कारण ये नतीजा निकला है। कोर्ट में सरकार ठीक ढंग से बात नहीं रख पाती है और जो जरुरी काम है, उस पर नीतीश सरकार ठीक से ध्यान नहीं देती हैं।
"इस फैसले से समाज के पिछड़े तबके को हुई मायूसी"
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अदालत के फैसले पर हम कोई टिप्पणी नहीं करते, लेकिन इस फैसले से समाज के पिछड़े, वंचित और शोषित तबके को मायूसी हुई है। कुशवाहा ने कहा कि बिहार की नीतीश सरकार की कमजोरी की वजह से पटना हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने का फैसला किया है। इधर, भाकपा माले के राज्य सचिव ने पटना हाईकोर्ट के फैसले पर कहा कि सर्वेक्षण बहुत आवश्यक है क्योंकि 1931 के बाद कोई जातिगत जनगणना नहीं की गई है और कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण और अन्य योजनाओं को अधिक प्रभावी बनाने के लिए विभिन्न सामाजिक समूहों की संख्या का एक नया अनुमान आवश्यक है। बता दें कि बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। अदालत मामले की सुनवाई अब तीन जुलाई को करेगी। हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ ने बिहार में हो रही जातीय जनगणना पर रोक लगाने की दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अब 3 जुलाई को अदालत मामले की करेगी सुनवाई
पीठ ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि मामले में अंतिम आदेश पारित होने तक इन आंकड़ों को किसी के भी साथ साझा नहीं किए जाए। अदालत मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख तीन जुलाई तय की है। अदालत ने कहा हमारी राय है कि याचिकाकर्ताओं ने राज्य सरकार द्वारा जाति आधारित सर्वेक्षण की प्रक्रिया को जारी रखने के खिलाफ तथा आंकड़ों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाया है, जिसका सरकार की ओर से विस्तृत समाधान किया जाना चाहिए।