दक्षिणी बिहार में मैग्नेटाइट युक्त चट्टानों की पहचान करने के लिए होगा ‘रिमोट सेंसिंग' और हवाई सर्वेक्षण

Edited By Ramanjot, Updated: 04 Jun, 2023 05:57 PM

remote sensing and aerial survey to identify magnetite rich rocks in bihar

अधिकारी के मुताबिक बिहार में पहली बार इस तरह का सर्वेक्षण राज्य के औरंगाबाद, जहानाबाद, नालंदा और जमुई जिलों में सुदूर संवेदन और हवाई सर्वेक्षण प्रभाग (आरएसएएस), जीएसआई (बेंगलुरु) द्वारा किया जाएगा। बिहार की अतिरिक्त मुख्य सचिव सह खनन आयुक्त हरजोत...

पटनाः बिहार सरकार ने राज्य के दक्षिणी हिस्से का 'रिमोट सेंसिंग' और हवाई सर्वेक्षण कराने के लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का फैसला किया है ताकि लौह और फेरोमैग्नेसियन खनिजों की प्रचुरता वाली चट्टानों की पहचान की जा सके। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। 

अधिकारी के मुताबिक बिहार में पहली बार इस तरह का सर्वेक्षण राज्य के औरंगाबाद, जहानाबाद, नालंदा और जमुई जिलों में सुदूर संवेदन और हवाई सर्वेक्षण प्रभाग (आरएसएएस), जीएसआई (बेंगलुरु) द्वारा किया जाएगा। बिहार की अतिरिक्त मुख्य सचिव सह खनन आयुक्त हरजोत कौर बमराह ने कहा, ‘‘खनन और भूविज्ञान विभाग (डीएमजी) तथा आरएसएएस-जीएसआई के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के लिए पहले ही स्वीकृति दी जा चुकी है। अब समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जा रहा है। एक बार समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद, अध्ययन/सर्वेक्षण का अंतिम नतीजा आगे की कार्रवाई के लिए एक वर्ष के भीतर उपलब्ध होगा।'' 

बमराह ने कहा, ‘‘इससे पहले, एक धारणा थी कि वर्ष 2000 में झारखंड के निर्माण के बाद बिहार ने अपनी खनिज संपदा खो दी थी। वास्तव में, बिहार के पास अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त खनिज संसाधन हैं।'' राज्य सरकार खनन क्षेत्र में निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करने के प्रावधानों को शामिल कर अपनी ‘औद्योगिक प्रोत्साहन नीति' में संशोधन करने की भी तैयारी कर रही है। 

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