Anand Mohan की रिहाई पर मचे घमासान के बीच बोले नीतीश- रिहाई की मांग करने वाले अब कर रहे विरोध

Edited By Swati Sharma, Updated: 29 Apr, 2023 01:29 PM

those demanding the release of anand mohan are now protesting

मुख्यमंत्री ने कहा कि एक आदमी के बारे में जो इतनी बात की जा रही है, यह आश्चर्यजनक है। मुख्य सचिव ने इसके बारे में सारी बातें बता दी है। अगर आप लोग इसको जानना चाहते हैं तो केंद्र से 2016 में जो मैन्युअल जारी हुआ था उसमें क्या प्रावधान है? जब किसी के...

पटना(अभिषेक कुमार सिंह): बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी की हत्या मामले में जेल में रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर मचे घमासान को लेकर मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी  (भाजपा) पर निशाना साधा और कहा कि जो लोग पहले इसकी मांग कर रहे थे अब जब रिहाई हो गई तो विरोध कर रहे हैं।      

"बिहार में वर्ष 2017 से अभी तक 698 कैदियों को किया गया कारा मुक्त"
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक आदमी के बारे में जो इतनी बात की जा रही है, यह आश्चर्यजनक है। मुख्य सचिव ने इसके बारे में सारी बातें बता दी है। अगर आप लोग इसको जानना चाहते हैं तो केंद्र से 2016 में जो मैन्युअल जारी हुआ था उसमें क्या प्रावधान है? जब किसी के लिए विशेष प्रावधान ही नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान्य आदमी की हत्या इन दोनों में फर्क होना चाहिए? आज तक ऐसा कहीं होता है? आजीवन कारावास में बंद कैदियों की वास्तविक अवधि 14 वर्ष एवं परिहार जोड़कर 20 वर्ष पूर्ण करने के उपरांत कारा से मुक्त करने का प्रावधान है। बिहार में वर्ष 2017 से अभी तक 22 बार परिहार परिषद की बैठक हुई और 698 बंदियों को कारा मुक्त किया गया।

"इस विरोध का कोई मतलब नहीं"
नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 26 जनवरी और 15 अगस्त को और बाकी अन्य दिवस के अवसर पर कैदियों को छोड़ा जाता है। बिहार में 2017 से अब तक कई कैदियों को रिहा किया गया है। इस बार भी 27 कैदियों को रिहा किया गया है। उसमें एक ही पर चर्चा हो रही है। इसका तो कोई मतलब नहीं है। तरह-तरह के लोग बयान देते हैं तो हमको तो आश्चर्य लगा। जो लोग पहले इसका डिमांड कर रहे थे। अब जब रिहाई हो गई तो विरोध कर रहे हैं। इस विरोध का कोई मतलब नहीं है। इसको लेकर विरोध करने का अब कोई तुक नहीं है।

"ससमय की जाती है कैदियों को छोड़ने की कार्रवाई"
सी०पी०आई० माले द्वारा अरवल में टाडा बंदियों छोड़ने की मांग के पत्रकारों के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जो प्रावधान है, जो नियम है, उसके अनुरूप समय बंदियों को छोड़ने की कार्रवाई की जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई राज्यों द्वारा बंदियों को रिलीज किया जाता है। वर्ष 2020-21 में असम में 280, छत्तीसगढ़ में 338, गुजरात में 47, हरियाणा में 79, हिमाचल प्रदेश में 50, झारखंड में 298, कर्नाटक में 195, केरल में 123, मध्यप्रदेश में 692, महाराष्ट्र में 313, उड़ीसा में 203, राजस्थान में 346, तेलंगाना में 139, उत्तर प्रदेश में 656, दिल्ली में 280 और केंद्र शासित प्रदेशों में 294 बंदियों को रिलीज किया गया है। बिहार में वर्ष 2020 और 2021 दोनों को मिलाकर कुल 105 कैदियों को रिहा किया गया है। अन्य राज्यों से आप बिहार की तुलना कर लीजिए।

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