Edited By Swati Sharma, Updated: 24 Nov, 2022 04:10 PM

इन पक्षियों के आगे न तो कोई सरहद की दीवार आई और न ही कोई वीजा या परमिट। ये सुकून की तलाश में पटना पहुंच रहे हैं। सचिवालय स्थित तालाब को पटना वन प्रमंडल के द्वारा विदेशी पक्षियों के प्रवास के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। वन विभाग के कर्मचारी...
पटना (अभिषेक कुमार सिंह): राजधानी पटना में गुलाबी ठंड के दस्तक के साथ ही विदेशी पक्षियों का आने का सिलसिला शुरू हो चुका हैं। पटना की आबोहवा इन पक्षियों को इतनी भाने लगी हैं कि ये पक्षी हज़ारो किलोमीटर की यात्रा कर रूस, मंगोलिया, तजाखिस्तान, उज्बेकिस्तान, सहित मध्य एशिया के देशों से पटना के सचिवालय स्थित तालाब में पहुंच रहे हैं। वहीं इन पक्षियों के कलरव से पूरा वातावरण गुलज़ार है।

तालाब में पहुंचने लगे हैं विदेशी पक्षियों के झुंड
इन पक्षियों के आगे न तो कोई सरहद की दीवार आई और न ही कोई वीजा या परमिट। ये सुकून की तलाश में पटना पहुंच रहे हैं। सचिवालय स्थित तालाब को पटना वन प्रमंडल के द्वारा विदेशी पक्षियों के प्रवास के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। वन विभाग के कर्मचारी इन पक्षियों के चारे का भी इंतेज़ाम करते है। ये पक्षी अक्टूबर महीने से आने शुरू होते हैं और मार्च महीने के अंत में अपने वतन लौट जाते हैं। इन पक्षियों में मुख्य रूप से वैगटेल, नॉर्दन शॉवलर और ग्रिनिश वार्बलर जैसे कई पक्षी होते हैं। राजधानी के सचिवालय जलाशय में गाडवाल नाम के पक्षी को देखा जा सकता हैं। इस पक्षी का वजन एक से 2 किलो का होता है। देखने में ये पक्षी मटमैला रंग का होता है। यह जब देखे जाते हैं जोड़े में देखे जाते हैं और यह 20-25 के समूह में ही रहते हैं।

पक्षियों को सरहदें नहीं रोका करती
वहीं कहते है कि सरहदें तो लोगों के लिए बनाई जाती हैं। इन सरहदों से पक्षियों का ना तो कोई रिश्ता है और न हीं नाता। पक्षियों को सरहदें रोका नहीं करती। इन्हीं संदेशों के साथ शायद यह पक्षी हर साल पटना को गुलज़ार करने आते हैं और फिर अपने वतन लौट जाते हैं।
