Edited By Harman, Updated: 17 May, 2025 09:55 AM

झारखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधा। मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार का मॉडल कुछ ऐसा है जिसमें दुष्कर्मी को मुआवजा मिलता है और पीड़िता पर मौन रखा जाता है।
Babulal Marandi News: झारखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवम नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने शुक्रवार को राज्य सरकार पर बड़ा निशाना साधा। मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार का मॉडल कुछ ऐसा है जिसमें दुष्कर्मी को मुआवजा मिलता है और पीड़िता पर मौन रखा जाता है।
"घटना दुखद है, झारखंड सरकार और कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया शर्मनाक"
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि बोकारो के कडरूखुट्ठा गांव में एक आदिवासी महिला तालाब में स्नान करने गई थी। वहीं गांव में काम कर रहा अब्दुल कलाम, महिला से छेड़खानी करता है और दुष्कर्म की कोशिश करता है। महिला चिल्लाती है, ग्रामीण जुटते हैं, और आरोपी की जमकर पिटाई होती है। पिटाई के दौरान उसकी मौत हो जाती है। घटना दुखद है, क्योंकि कानून को हाथ में लेना सही नहीं। मरांडी ने कहा कि लेकिन उससे भी ज़्यादा शर्मनाक है इसके बाद झारखंड सरकार और कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया, जिन्होंने पीड़िता को भूलकर पूरी संवेदना उस व्यक्ति के लिए लुटा दी जो एक आदिवासी महिला के साथ दुष्कर्म की घटना को अंजाम देना चाहता था।
"एक दुष्कर्म के आरोपी के साथ शहीद जैसी राजकीय सहानुभूति"
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कांग्रेस विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने पूरे मामले को ‘मॉब लिंचिंग' कहकर मुस्लिम उत्पीड़न की कहानी बना दी। हेमंत सोरेन सरकार ने तत्काल अब्दुल कलाम के परिवार को 4 लाख मुआवज़ा, 1 लाख सहायता राशि और स्वास्थ्य विभाग में नौकरी तक ऑफर कर दी — एक दुष्कर्म के आरोपी के साथ शहीद जैसी राजकीय सहानुभूति! कहा कि यह समझना बहुत अहम है कि राज्य और तथाकथित सेक्युलर ‘विचारधारा' ने इस मामले को कैसे पलट दिया।
"झारखंड सरकार पूरी तरह वोटबैंक तुष्टिकरण में लिप्त"
मरांडी ने कहा कि डॉ. इरफान अंसारी जैसे नेता इस मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देकर आदिवासी समाज के घाव पर नमक छिड़कते हैं, जबकि झारखंड सरकार पूरी तरह वोटबैंक तुष्टिकरण में लिप्त है। बलात्कारी अगर ‘‘राजनीतिक रूप से सुरक्षित समुदाय'' से हो, तो उसके घर को ही ‘पीड़ित परिवार' घोषित कर दिया जाता है।क्या आदिवासी अब इस राज्य में दोयम दर्जे के नागरिक हैं? क्या आदिवासी स्त्रियों की अस्मिता अब आपकी राजनीति के लिए ‘दूसरी प्राथमिकता' बन चुकी है? या सिर्फ इसलिए चुप हैं क्योंकि यह मामला ‘धर्मनिरपेक्ष नैरेटिव' के खिलाफ जाता है? कहा कि झारखंड की सरकार ने एक आदिवासी महिला की चीखों को अनसुना कर दिया — सिर्फ इसलिए कि आरोपी की पहचान उनके‘वोटबैंक'से मेल खाती थी।