मुख्यमंत्री के द्वारा विधानसभा अध्यक्ष को विश्वास प्रस्ताव का पत्र देना असंवैधानिक है: बाबूलाल मरांडी

Edited By Nitika, Updated: 06 Sep, 2022 11:39 AM

statement of babulal marandi

झारखंड में भाजपा के सभी विधायक गण प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में पार्टी कार्यालय में विधायक दल की बैठक की। बैठक के बाद भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा अध्यक्ष के नाम एक पत्र लिखा है

 

रांचीः झारखंड में भाजपा के सभी विधायक गण प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की अध्यक्षता में पार्टी कार्यालय में विधायक दल की बैठक की। बैठक के बाद भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने विधानसभा अध्यक्ष के नाम एक पत्र लिखा है और पत्र के माध्यम से अध्यक्ष महोदय से सरकार के द्वारा आहूत एक दिवसीय विधानसभा सत्र को खारिज करने की मांग की है।

मरांडी ने कहा कि झारखंड सरकार के द्वारा एक दिवसीय विधानसभा सत्र को बुलाए जाने को असंवैधानिक करार दिया। उन्होंने कहा कि नियमत: संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत माननीय मुख्यमंत्री और विधान परिषद राज्यपाल महोदय की सहायता एवं सलाह देने के लिए होती है, अत: मुख्यमंत्री को यह प्रस्ताव राज्यपाल महोदय को देना चाहिए था न कि अध्यक्ष को। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 164(2) के अनुसार राज्यपाल ही यह आदेश दे सकते हैं कि मंत्रिपरिषद विधानसभा से विश्वास मत हासिल करें। मुख्यमंत्री ऐसा प्रस्ताव बिना राज्यपाल के अनुमति के विधानसभा अध्यक्ष को नहीं दे सकते है। उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा एवं कांग्रेस संविधान को ताख में रखकर मनमाने तरीके से सरकार चला रही है। संविधान के अनुच्छेद 166 में यह स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य सरकार की समस्त कार्यपालिका की करवाई राज्यपाल के नाम पर होगी। मुख्यमंत्री महोदय के द्वारा अध्यक्ष को भेजा गया प्रस्ताव अनुच्छेद 163 के विरुद्ध है, अत: इसे असंवैधानिक घोषित करते हुए खारिज किया जाए। अध्यक्ष संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत इस पर संज्ञान नहीं ले सकते है।

बाबूलाल मरांडी ने बताया कि संविधान या प्रक्रिया कार्यसंचालन में मंत्री परिषद में विश्वास प्रस्ताव का कोई उपबंध नहीं है तथापि भारत के संसदीय लोकतंत्र के एक नई व्यवस्था के रूप में कायम हो चुका है। राज्यपाल किसी भी मंत्री परिषद को विश्वासमत हासिल करने का आदेश दे सकते हैं। अभी तक झारखंड में 6 बार विश्वास का प्रस्ताव विधानसभा में प्रस्तुत किया गया है। मरांडी ने बताया कि राज्यपाल के आदेश से ही सभा में विश्वास प्रस्ताव रखा जाता है, अत: सरकार की तरफ से दिए गए विश्वास प्रस्ताव के लिए सभा को पूर्व में सूचित करना अनिवार्य नहीं होता क्योंकि यह प्रस्ताव राज्यपाल के आदेश से ही रखा जाता है। ऐसे प्रस्ताव का कार्यसूची में पुरवर्तिता प्राप्त होती है।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Lucknow Super Giants

Royal Challengers Bengaluru

Teams will be announced at the toss

img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!