Tulsi Vivah Rangoli Design 2025: तुलसी विवाह पर रंगों और फूलों से ऐसे सजाएं आंगन, देवी लक्ष्मी होंगी प्रसन्न; घर में आएगी सुख-समृद्धि

Edited By Khushi, Updated: 01 Nov, 2025 12:06 PM

tulsi vivah rangoli design 2025 decorate your courtyard with colors and flowers

Tulsi Vivah Rangoli Design 2025: तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु (शालिग्राम) का विवाह संपन्न होता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी और...

Tulsi Vivah Rangoli Design 2025: तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है। इस दिन माता तुलसी और भगवान विष्णु (शालिग्राम) का विवाह संपन्न होता है। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर तुलसी विवाह किया जाता है। इस दिन तुलसी जी और शालिग्राम जी का विवाह कराया जाता है। तुलसी विवाह करने से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का वास होता है। तुलसी विवाह करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं। कहा जाता है कि इस दिन घर की देहरी, आंगन या तुलसी चौरे को रंगोली से सजाने से घर में शुभता, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। तुलसी विवाह के मौके पर अगर आप भी घर में रंगोली बनाना चाहती है तो यहां कुछ डिजाइन्स देखें। 

तुलसी विवाह 2025 पर बनाएं ये रंगोली डिज़ाइन (Tulsi Vivah Rangoli Design) 

तुलसी पत्ते और शंख को मिलाकर सुंदर पैटर्न बनाएं। हरे और नीले रंग से डिजाइन तैयार करें और मोरपंख बॉर्डर बनाएं। 

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तुलसी चौरे के चारों ओर गोलाकार या चौकोर डिज़ाइन बनाएं। पीले और लाल रंग से मांडना तैयार करें और चारों कोनों पर दीपक रखें। बीच में ‘ॐ नमो नारायणाय’ लिखना शुभ माना जाता है। 

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सबसे पहले गेंदे, गुलाब और कमल की पंखुड़ियों से गोलाकार रंगोली बनाएं। बीच में तुलसी चौरा रखें और चारों दिशाओं में दीये जलाएं। 

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अगर सबसे यूनिक रंगोली बनाना चाहते हैं तो विष्णु-तुलसी विवाह थीम रंगोली डिजाइन ट्राई कर सकती हैं। इसके लिए भगवान विष्णु के प्रतीक चिन्ह जैसे शंख, चक्र, गदा और तुलसी पत्ते बनाएं। बीच में विवाह मंडप का आभास दें और चारों ओर बेलों व दीपों से सजाएं। 

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तुलसी विवाह पूजा विधि

1. सुबह स्नान कर घर के आंगन या छत पर तुलसी के पौधे के पास स्थान को साफ करें।
2. तुलसी माता को लाल साड़ी, चुनरी, चूड़ी, सिंदूर और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
3. पौधे के दाहिनी ओर शालिग्राम (भगवान विष्णु) को स्थापित करें।
4. तुलसी और शालिग्राम दोनों को गंगाजल से स्नान कराएं और चंदन, रोली से तिलक करें।
5. फल, फूल, मिठाई और तुलसीदल का भोग लगाकर विवाह मंत्रों के साथ तुलसी-शालिग्राम का विवाह कराएं।
6. विवाह के बाद आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।

तुलसी विवाह का महत्व
बता दें कि तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से किया जाता है। भगवान शालिग्राम को दूल्हे की तरह सजाया जाता है और माता तुलसी को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। भगवान शालिग्राम ईश्वर की शक्ति के प्रतीक हैं, जबकि तुलसी माता प्रकृति का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस विवाह से प्रकृति और भगवान के बीच के संतुलन का संदेश मिलता है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति पूरे विधि-विधान से तुलसी विवाह करता है, उसके वैवाहिक जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। साथ ही घर में समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का वास होता है। तुलसी विवाह करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के चार महीने की योग निद्रा के बाद जागरण एकादशी (देवउठनी एकादशी) के अगले दिन तुलसी विवाह संपन्न कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि तुलसी विवाह कराने से —वैवाहिक जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि आती है। अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है और सबसे बड़ा लाभ, यह कन्यादान के समान पुण्यफल प्रदान करता है।

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