झारखंड के नक्सल प्रभावित गांवों के ग्रामीण भी टीकाकरण के प्रति हो रहे सजग

Edited By Diksha kanojia, Updated: 13 Jun, 2021 05:55 PM

villagers of naxal affected villages are also becoming aware of vaccination

वहीं लोग खुद टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने लगे हैं। यही कारण है कि कुछ गांवों को शत-प्रतिशत टीकाकरण का तगमा मिल चुका है। ऐसा ही एक गांव है, बनमारा। यह झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित सिमडेगा जिले के कुल्लू केरा पंचायत में है।...

 

रांचीः झारखंड में कोविड 19 के टीकाकरण को लेकर राज्य सरकार का जागरूकता अभियान रंग पकड़ने लगा है। गांव में जाकर उनकी ही भाषा, बोली में टीकाकरण के महत्व को समझाने से भ्रम और अफवाहों का असर खत्म होने लगा है।

वहीं लोग खुद टीकाकरण अभियान में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभाने लगे हैं। यही कारण है कि कुछ गांवों को शत-प्रतिशत टीकाकरण का तगमा मिल चुका है। ऐसा ही एक गांव है, बनमारा। यह झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित सिमडेगा जिले के कुल्लू केरा पंचायत में है। यहां निवास करने वाले शत-प्रतिशत लोगों ने आगे आकर कोरोना से बचाव के लिए टीका लिया है। यही जागरूकता सिमडेगा के ही ओडिशा बॉडर्र से सटे कुरडेग प्रखंड के चडरी मुंडा पंचायत स्थित जींस जरा कानी गांव के लोगों ने भी दिखाई है।

सुदूरवर्ती गांव होने के बावजूद यहां के ग्रामीणों ने खुद के और अपने परिवार के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए शत-प्रतिशत टीकाकरण कराया। शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए गांव के लोग जिला प्रशासन की पहल पर आगे आए। गांव में पूर्व से ही परंपरा अनुसार प्रत्येक सप्ताह लोग एक जगह एकत्र हो अपनी- अपनी बातों को साझा करते हैं। जिसके कारण गांव के सभी परिवारों में किसी भी मुद्दे पर एक राय होकर निर्णय लेने की समझ होती है।

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