Edited By Swati Sharma, Updated: 27 Nov, 2024 04:24 PM
बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विधानसभा की भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही के दौरान सभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव के विपक्ष के कार्यस्थगन...
पटना: बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन बुधवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। विधानसभा की भोजनावकाश से पहले की कार्यवाही के दौरान सभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव के विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव को खारिज करने और शून्यकाल की कार्यवाही शुरू करने के तुरंत बाद पूरे विपक्ष ने अध्यक्ष से स्थगन प्रस्ताव की सूचना पढ़ने की अनुमति देने की मांग की और शोर मचाना शुरू कर दिया।
'वक्फ का मुद्दा गंभीर'
विपक्षी सदस्यों ने कहा कि वक्फ का मुद्दा गंभीर है। हालांकि सभाध्यक्ष ने कहा कि यह मुद्दा गंभीर है, लेकिन इस पर सदन में चर्चा नहीं की जा सकती क्योंकि यह राज्य सरकार से संबंधित नहीं है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को एक कानून बनाना है, जिसके लिए उसने एक समिति गठित की है इसलिए सदस्यों को सुझाव है कि वे अपना मुद्दा समिति के समक्ष उठाएं। सदस्यों ने बिहार सरकार से सदन में प्रस्ताव लाकर वक्फ संशोधन विधेयक को खारिज करने की मांग की। विपक्ष ने उन्हें नोटिस पढ़ने की अनुमति देने पर भी जोर दिया। अपनी मांग के समर्थन में पूरा विपक्ष शोर मचाते हुए सदन के बीचों-बीच आ गया। इस पर सभा अध्यक्ष ने इस मामले को केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति के समक्ष उठाने के अपने सुझाव को दोहराया। उन्होंने कहा कि सदन निर्धारित नियमों के अनुसार चलेगा तथा नियमावली की धारा 80 और 82 के तहत किसी को भी ऐसी सूचना पढ़ने की अनुमति नहीं है।
विपक्ष लगातार नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करता रहा
सभाध्यक्ष ने सदस्यों से बार-बार अपनी सीट पर बैठने का अनुरोध किया, लेकिन विपक्ष लगातार सदन के बीचों-बीच नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी करता रहा। इसके बाद अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12:10 बजे भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले सदन की कार्यवाही शुरू होने पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भारतीय संविधान के मैथिली भाषा में अनुवाद को जनता को समर्पित करने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रस्ताव रखा। उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए सभा अध्यक्ष ने पूरे सदन की ओर से भारतीय संविधान के संस्कृत और मैथिली अनुवाद को जनता को समर्पित करने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त किया।