झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर अदालत में सुनवाई, ED 12 जून को देगा जवाब

Edited By Nitika, Updated: 11 Jun, 2024 08:37 AM

hearing on hemant soren bail plea in court

उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देने की वकालत करते हुए कहा कि झामुमो नेता को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाया गया है।

 

रांचीः उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सोमवार को झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जमानत देने की वकालत करते हुए कहा कि झामुमो नेता को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाया गया है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन ने 27 मई को उच्च न्यायालय में जमानत के लिए एक याचिका दायर की थी। ईडी इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 जून को जवाब देगी। सोरेन को कथित भूमि घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। उन्होंने उच्च न्यायालय से शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया है। सिब्बल ने दलील दी कि सोरेन पर रांची के बार्गेन क्षेत्र में 8.86 एकड़ के भूखंड पर कब्जा करने का गलत आरोप लगाया गया है और यह कृत्य धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत अपराध नहीं बनता है, जिसके लिए सोरेन को हिरासत में लिया गया है। ईडी ने आरोप लगाया है कि भूमि दस्तावेजों में फेरबदल किया गया और सोरेन ने मूल भूस्वामियों को जबरन बेदखल कर दिया।

सिब्बल ने जवाब दिया कि मूल भूस्वामियों ने तब कोई शिकायत नहीं की जब उनकी जमीन कथित तौर पर ली गई तो और न ही अधिकारियों से संपर्क किया। उन्होंने कहा कि जबरन बेदखली की यह घटना 2009-10 में घटित हुई बतायी जाती है, लेकिन रिपोर्ट 2023 में ही तैयार की गई। सिब्बल ने दलील दी कि यदि सोरेन के खिलाफ सभी आरोप सही भी हों, तो भी यह जबरन बेदखली का एक दीवानी मामला होगा, न कि आपराधिक मामला। उन्होंने दावा किया कि आपराधिक मामला सोरेन को सलाखों के पीछे रखने के गुप्त उद्देश्य से प्रेरित था। उन्होंने दावा किया कि ईडी ने सबूतों के साथ छेड़छाड़ की और सोरेन को फंसाने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए। मूल भूस्वामी राज कुमार पाहन ने पहले ही भूमि को अपने नाम पर बहाल करने के लिए आवेदन कर दिया है, जिस पर कार्रवाई की जा रही है। नवनिर्वाचित गांडेय विधायक और सोरेन की पत्नी कल्पना भी बहस के दौरान अदालत में मौजूद थीं। शाम चार बजे शुरू हुई सुनवाई शाम छह बजे तक चली।

उच्च न्यायालय ने ईडी को मामले पर जवाब देने का निर्देश दिया और 12 जून के लिए अगली सुनवाई तय की। 28 मई को उच्च न्यायालय ने ईडी को सोरेन की जमानत याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय की पीठ के समक्ष पेश हुए सिब्बल ने पहले दलील दी थी कि झामुमो नेता राजनीतिक साजिश का शिकार हैं और उन्हें बिना सबूत के फंसाया गया है। सोरेन को 22 मई को उच्चतम न्यायालय से राहत नहीं मिली थी, जिसने धन शोधन मामले में गिरफ्तारी के खिलाफ याचिका में “महत्वपूर्ण तथ्यों को दबाने” के लिए उनकी आलोचना की थी।

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