Edited By Ramanjot, Updated: 29 Oct, 2020 04:15 PM
बिहार में दूसरे चरण में तीन नवंबर को 94 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में खगड़िया जिले की सभी चार सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक जनता दल यूनाइटेड (JDU) महागठबंधन और अन्य राजनीतिक दलों के प्रत्याशी पर सियासी...
पटनाः बिहार में दूसरे चरण में तीन नवंबर को 94 सीटों पर होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) में खगड़िया जिले की सभी चार सीट पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक जनता दल यूनाइटेड (JDU) महागठबंधन और अन्य राजनीतिक दलों के प्रत्याशी पर सियासी ‘तीर' चला रहा है।
इस बार खगड़िया में अलौली (सुरक्षित), खगड़यिा, बेलदौर और परबत्ता सीट पर राजग ने महागठबंधन और अन्य राजनीतिक दलों पर सियासी ‘तीर' चलाने का जिम्मा जदयू को दिया है। अलौली (सु) सीट से महाठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के निवर्तमान विधायक चंदन राम की जगह पूर्व विधायक रामवृक्ष सदा चुनावी महाकुंभ में भाग्य आजमा रहे हैं, वहीं जदयू ने उनपर सियासी ‘तीर' चलाने का जिम्मा सत्ता के संग्राम की नयी खिलाड़ी साधना देवी को दिया है।
लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) ने राजद और जदयू को चुनौती देने के लिए पूर्व विधायक रामचंद्र सदा को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। वर्ष 2015 में राजद उम्मीदवार चंदन कुमार ने सही निशाने पर तीर चलाकर लोजपा प्रत्याशी और दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री राम विलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस (अभी हाजीपुर सांसद) को 24470 मतों के अंतर से मात दे दी थी। पशुपति कुमार पारस ने अलौली विधानसभा क्षेत्र में सात बार प्रतिनिधत्व किया है।
अलौली विधानसभा क्षेत्र से रामविलास पासवान भी वर्ष 1969 में निर्वाचित हुए थे। पशुपति पारस इस सीट से पहली बार वर्ष 1977 में निर्वाचित हुए। इसके बाद वर्ष 1985, 1990, 1995, 2000, फरवी और अक्टूबर 2005 में इस सीट से पारस ने चुनाव जीता। वर्ष 2010 में हुए चुनाव में खुद को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बताने वाले पारस को हार का सामना करा पड़ा था। पशुपति पारस जदयू के रामचंद्र सदा से 17523 मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे। अलौली सीट पर इस चुनाव में 14 प्रत्याशी चुनावी अखाड़े में डटे हैं, जिसमें 12 पुरूष और दो महिला शामिल है।