पलभर में उजड़ गया परिवार! इकलौते पुत्र का शव देखते ही पिता ने भी तोड़ा दम, सड़क हादसे में हुई थी बेटे की मौत

Edited By Ramanjot, Updated: 17 Dec, 2024 11:57 AM

the father also died after seeing the dead body of his only son

मधुबनी जिला के सकरी थाना क्षेत्र में शनिवार की देर रात हुई सड़क दुर्घटना में पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन निवासी पिकअप चालक सहित दो लोगों की मौत घटना स्थल पर ही हो गई। इस दौरान पिकअप पर सवार तीन युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे में घोड़ासहन के...

बिहार डेस्क: बिहार के पूर्वी चंपारण से दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है, जहां इकलौते पुत्र के शव से लिपटकर पिता ने भी जान दे दी। पिता और बेटे की मौत के साथ ही परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। ये मौत हर उस आंख को नम कर गई है, जिसने पुत्र के शव से लिपटकर पिता को बेजान होते हुए देखा या सुना। 

मधुबनी जिला के सकरी थाना क्षेत्र में शनिवार की देर रात हुई सड़क दुर्घटना में पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन निवासी पिकअप चालक सहित दो लोगों की मौत घटना स्थल पर ही हो गई। इस दौरान पिकअप पर सवार तीन युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। इस हादसे में घोड़ासहन के महुआही गांव निवासी महिन्द्रा राय के इकलौते पुत्र जयलाल प्रसाद यादव उर्फ पच्चू राय (37) तथा गुलरिया टोला निवासी विद्यानंद राम के पुत्र अमरजीत कुमार (25) की मौत घटनास्थल पर ही हो गई। तीन युवक हरेंद्र पंडित, लव कुमार तथा कन्हैया कुमार घायल हो गए। दोनों मृतकों के पार्थिव शरीर सोमवार को उनके गांव पहुंचा। घोड़ासहन के महुआही गांव निवासी महेंद्र राय का इकलौता पुत्र था जयलाल। इकलौते पुत्र के शव से लिपट गए महेंद्र राय। धीरे-धीरे आती महेंद्र राय की सिसकियां मद्धिम पड़ती गईं और पुत्र के शव से लिपटे हुए ही न जाने कब और कैसे उनकी सांसें भी सदा के लिए थम गईं। जवान जयलाल की मौत का मातम कोहराम में बदल गया। 

महज छह माह पूर्व ही जयलाल की मौत हुई थी। फिर शनिवार की देर शाम जयलाल की सड़क हादसे ने जान ले ली। और जयलाल के साथ उसके पिता ने भी दम तोड़ दिया। जयलाल की पूरी की पूरी गृहस्थी ही उजड़ गई। तीन बहनों के इकलौता भाई जयलाल के चार नन्हें-नन्हें बच्चे हैं, जिन्हें नहीं पता मौत होती क्या है। वे बाद में अपनी मां को रोता हुआ देखकर बिलख रहे थे और सामने एक साथ पड़ा था उनके पिता और दादा का बेजान शरीर। वे अनाथ हो गए, उन्हें नहीं पता। घर पुरुष विहीन हो गया है, अब गृहस्थी कैसे चलेगी, यह भी नहीं पता। उनकी तरह किसी को नहीं पता कि जयलाल का परिवार अब किसके सहारे जियेगा। जयलाल के साथ जान गंवाने वाले अमरजीत की भी कहानी कुछ जयलाल जैसी ही है। अमरजीत भी अपने घर में अकेला कमाने वाला था। वह चार भाई और दो बहनों में तीसरे नम्बर पर था। 
 

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