Edited By Ramanjot, Updated: 23 May, 2025 08:53 PM

राज्य में चल रहे जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत न केवल जल संचयन संरचनाओं को पुनर्जीवित नहीं किया जा रहा है बल्कि इस मिशन से जीविका स्वयं सहायता समूहों को आजीविका लिए वैकल्पिक स्रोत भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
पटना:राज्य में चल रहे जल-जीवन-हरियाली मिशन के तहत न केवल जल संचयन संरचनाओं को पुनर्जीवित नहीं किया जा रहा है बल्कि इस मिशन से जीविका स्वयं सहायता समूहों को आजीविका लिए वैकल्पिक स्रोत भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस मिशन के अंतर्गत जीर्णोद्धार कराए गए सार्वजनिक तालाबों में जीविका दीदियां मछली और बत्तखपालन करके अपनी आजीविका चला रही हैं। जीर्णोद्धार किए तालाबों के समुचित रख-रखाव एवं प्रबंधन की जिम्मेदारी जीविका स्वयं सहायता समूहों को दी जा रही है।
जल-जीवन-हरियाली अभियान की मिशन निदेशक प्रतिभा रानी ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा कि इस मिशन से जीविका दीदियों को जोड़े जाने से तालाबों का न केवल सतत रख-रखाव सुनिश्चित हो रहा है बल्कि मत्स्य और बत्तख पालन के माध्यम से जीविका दीदियों के लिए आजीविका का वैकल्पिक स्रोत भी उपलब्ध हो रहा है। मिशन निदेशक प्रतिभा रानी ने बताया कि जल-जीवन-हरियाली अभियान पर्यावरण संरक्षण के लिए बिहार सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण अभियान है। इस अभियान के तहत कुल 15 क्रियान्वयन विभागों द्वारा 11 अवयवों पर कार्य किए जा रहे हैं।
अभियान के अवयव संख्या-02 के तहत सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं यथा तालाबों, पोखरों, आहरों और पईनों के जीर्णोद्धार कार्य किए जा रहे हैं। इस अभियान में इन संरचनाओं की उड़ाही, इनलेट-आउट्लेट निर्माण, इनके आसपास वृक्षारोपण एवं पाथ-वे का निर्माण, आवश्यकतानुसार सीढ़ियों व घाटों का निर्माण कराया जा रहा है। इससे जल संरचनाओं में जल को सहेजने और उसे एक जगह से दूसरे जगह प्रवाहित करने में मदद मिल रही है। जबकि दूसरी ओर भूमिगत जल के दोहन एवं उसके रिचार्ज होने की प्रक्रिया के बीच संतुलन बनाए रखने में भी विशेष मदद मिल रही है।