Edited By Swati Sharma, Updated: 22 Apr, 2023 10:37 AM

बिहार जदयू के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने शुक्रवार को कहा कि प्रदेश की राजनीति में कुशवाहा महत्वहीन हो चुके हैं इसलिए वह अब अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए चारों तरफ हाथ-पैर मार रहे हैं लेकिन उनका यह प्रयास कभी सफल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि...
पटना: बिहार जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने राष्ट्रीय लोक जनता दल (रालोजद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पर निशाना साधा और कहा कि वह प्रदेश की राजनीति में महत्वहीन हो चुके हैं इसलिए वह अब अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए चारों तरफ हाथ-पैर मार रहे हैं लेकिन उनका यह प्रयास कभी सफल नहीं होगा।
"राजनीति में कुशवाहा महत्वहीन हो चुके"
बिहार जदयू के अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने शुक्रवार को कहा कि प्रदेश की राजनीति में कुशवाहा महत्वहीन हो चुके हैं इसलिए वह अब अपना राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए चारों तरफ हाथ-पैर मार रहे हैं लेकिन उनका यह प्रयास कभी सफल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कुशवाहा ने अपना स्वार्थ साधने के लिए राजनीतिक गरिमा और सम्मान को सूली पर टांग दिया है। उमेश कुशवाहा ने कहा कि गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की खबरें सुनकर उन्हें कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि सभी पहले से जानते थे कि उपेंद्र कुशवाहा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कठपुतली हैं और भाजपा की स्क्रिप्ट पर ही उन्होंने कुछ महीने पूर्व प्रदेश में राजनीतिक ड्रामे को अंजाम दिया था। उन्होंने कहा कि समाजवाद के सहारे राजनीति में पैर जमाने वाले उपेंद्र कुशवाहा आज अपने व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि के लिए साम्प्रदायिक शक्तियों के सामने शीर्षासन करते नजर आ रहे हैं।
"कुशवाहा निजी फायदे के लिए पूरे समाज को दिग्भ्रमित करने में लगे हुए"
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कुशवाहा निजी फायदे के लिए पूरे समाज को दिग्भ्रमित करने में लगे हुए हैं लेकिन उन्हें यह याद रखना चाहिए कि कुशवाहा समाज सम्मान और स्वाभिमान के साथ जीने वाला समाज है। किसी के भी बहकावे में कुशवाहा समाज नहीं आने वाला। श्री उपेन्द्र कुशवाहा ने दलित और पिछड़ा विरोधी ताकतों से हाथ मिलाकर कुशवाहा समाज की आंखों में धूल झोंका है। उमेश कुशवाहा ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा के जाने से ‘लवकुश समीकरण' पर तिनका मात्र भी प्रभाव पड़ने वाला नही है। ‘लवकुश समाज' पूरी मजबूती से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ खड़ा है। भाजपा से मिलकर उपेंद्र कुशवाहा ने अपने राजनीतिक ताबूत में आखिरी कील ठोक लिया है। इसका परिणाम वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा।