शिक्षा का मुद्दा हो या स्वास्थ्य का, बिहार देश के सभी राज्यों की तुलना में निचले पायदान परः प्रशांत किशोर

Edited By Ramanjot, Updated: 06 Jun, 2022 11:47 AM

statement of prashant kishor

बिहार में विकास की स्थिति पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, ''60 के दशक के बाद से ही बिहार विकास के सभी मापदंडों पर पिछड़ता चला गया। चाहे वो शिक्षा का मुद्दा हो या स्वास्थ का या फिर आधारभूत संरचना की बात हो या सामाजिक सुधार और न्याय का मुद्दा,...

पटनाः प्रशांत किशोर ने अपने सीवान दौरे की शुरुआत देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद के पैतृक गांव जिरादेई पहुंचकर की। यहां उन्होंने राजेंद्र बाबू की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद उन्होंने जिले के अलग -अलग गांव और प्रखंडों में लोगों के साथ जन सुराज की सोच पर संवाद किया। समाज के अलग-अलग वर्गों से मिलकर प्रशांत किशोर ने स्थानीय मुद्दों को भी समझने की कोशिश की।

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बिहार में विकास की स्थिति पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, '60 के दशक के बाद से ही बिहार विकास के सभी मापदंडों पर पिछड़ता चला गया। चाहे वो शिक्षा का मुद्दा हो या स्वास्थ का या फिर आधारभूत संरचना की बात हो या सामाजिक सुधार और न्याय का मुद्दा, बिहार देश के सभी राज्यों की तुलना में निचले पायदान पर है। प्रशांत किशोर ने रेखांकित करते हुए बताया कि 13 करोड़ की आबादी वाले बिहार में लगभग 8 करोड़ लोग 100 रूपए भी प्रतिदिन नहीं कमा पाते हैं।

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प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार के हर परिवार का कोई एक व्यक्ति दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्य में रोजगार की तालाश में जाता है, क्योंकि उसे बिहार में रोजगार नहीं मिलता। प्रशांत ने इसके लिए किसी एक पार्टी को जिम्मेदार नहीं बताते हुए कहा कि ये एक सामूहिक विफलता है उन सभी लोगों की जिन्होंने 60 के दशक से अब तक बिहार पर शासन किया है। उन्होंने बिहार की वर्तमान राजनीति पर तंज कसते हुए कहा कि राज्य की राजनीति कुल मिलाकर 1200-1300 परिवारों के इर्द गिर्द ही रहती है। इन्हीं परिवारों के लोग विधायक और सांसद बनते हैं। किसी नए व्यक्ति को मौका नहीं मिलता।

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