प्रशांत किशोर ने कहा- सत्ता परिवर्तन नहीं बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना हमारा मकसद

Edited By Ramanjot, Updated: 05 Jul, 2022 10:58 AM

statement of prashant kishore

‘जन सुराज'' अभियान के तहत सोमवार को सारण पहुंचे प्रशांत किशोर ने अलग अलग कार्यक्रमों में भाग लेते हुए समाज के प्रबुद्ध नागरिकों, युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं से जन सुराज की सोच पर संवाद किया। लोगों ने भी उनसे जन सुराज के बारे...

पटनाः ‘जन सुराज अभियान'के तहत बिहार में प्रबुद्ध लोगों, युवाओं और महिलाओं से संवाद कर रहे जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने कहा कि उनका उद्देश्य सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना है।

‘जन सुराज' अभियान के तहत सोमवार को सारण पहुंचे प्रशांत किशोर ने अलग अलग कार्यक्रमों में भाग लेते हुए समाज के प्रबुद्ध नागरिकों, युवाओं, महिलाओं, शिक्षकों, चिकित्सकों, अधिवक्ताओं से जन सुराज की सोच पर संवाद किया। लोगों ने भी उनसे जन सुराज के बारे में जाना और कई सवाल पूछे। किशोर ने सभी सवालों के जवाब दिए और जन सुराज की परिकल्पना को लोगों के सामने रखा। किशोर ने कहा, 'उद्देश्य है बिहार में एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाना। सत्ता परिवर्तन हमारा मकसद नहीं है। अगर पदयात्रा के बाद सब लोगों की सहमति से कोई दल बनता भी है तो वो बिहार के सभी सही लोगों का दल होगा, वह प्रशांत किशोर का दल नहीं होगा। सब मिलकर अगर तय करेंगे तो दल बनाया जाएगा। मैं अभी लोगों से बात करने, उनकी समस्याओं को समझने में अपना पूरा वक्त लगा रहा हूं।'

बिहार की बदहाली की चर्चा करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले 30 साल की सरकारों ने जो अच्छे काम किए हैं उसे स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। चाहे लालू यादव के सामाजिक न्याय की बात हो या नीतीश कुमार के आर्थिक विकास की बात हो, लेकिन सच्चाई यह है कि 60 के दशक के बाद से ही बिहार विकास के तमाम मापदंडों पर पिछड़ता चला गया और आज बिहार विकास लगभग सभी मामले में देश में सबसे निचले पायदान पर है। अगर यहां से बिहार को फिर से विकास के तमाम सूचकांक में देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा करना है तो सभी सही लोगों को एक साथ आना होगा और मिलकर प्रयास करना होगा।

प्रशांत किशोर ने कहा कि वह 2 अक्तूबर से पश्चिम चंपारण के गांधी आश्रम से पदयात्रा शुरू करेंगे। इस पदयात्रा के माध्यम से वह बिहार के हर गली-गांव, शहर-कस्बों के लोगों से मुलाकात करेंगे और उनकी समस्याओं को सुनेंगे। उनसे समझेंगे कि कैसे बिहार को बेहतर बनाया जा सकता है। पदयात्रा में जब तक पूरा बिहार पैदल न चल ले, तब तक वापस पटना नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि समाज में ही रहेंगे और समाज को समझने का प्रयास करेंगे। समाज को मथ कर सही लोगों को एक मंच पर लेकर आएंगे।

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