Edited By Ramanjot, Updated: 12 Sep, 2022 09:36 AM

सुशील मोदी ने रविवार को बयान जारी कर राज्य के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी के बयान पर कहां कि केंद्र सरकार बिहार के साथ भेदभाव कर रहा है का पुराना घिसा-पिटा रिकॉर्ड चालू हो गया है। एक माह पहले तक राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार...
पटनाः बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने केंद्र पर राज्य के साथ भेदभाव करने के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि समग्र शिक्षा में उत्तरप्रदेश के बाद सर्वाधिक राशि बिहार को ही मिली है, जबकि वह केंद्र से राशि निर्गत करने की अनिवार्य शर्त को पूरा करने में फिसड्डी साबित हो रहा है।
यूपी के बाद बिहार को मिली रही सर्वाधिक राशिः मोदी
सुशील मोदी ने रविवार को बयान जारी कर राज्य के वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी के बयान पर कहां कि केंद्र सरकार बिहार के साथ भेदभाव कर रहा है का पुराना घिसा-पिटा रिकॉर्ड चालू हो गया है। एक माह पहले तक राज्य में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार थी तो क्या उस समय भी अपनी ही सरकार के साथ केंद्र भेदभाव कर रहा था। भाजपा सांसद ने कहा कि समग्र शिक्षा के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के बाद सर्वाधिक राशि बिहार को प्राप्त हो रही है, लेकिन पब्लिक फाइनेंसियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) की नई व्यवस्था में शर्तों को पूरा करने में बिहार फिसड्डी साबित हो रहा है इस कारण राशि प्राप्त होने में विलंब हो रहा है।
मोदी ने कहा कि समग्र शिक्षा अंतर्गत 2022-23 में 4659.37 करोड़ रुपया बिहार को प्राप्त होना है लेकिन बिहार ने ब्याज में प्राप्त राशि का केंद्रीय हिस्सा भारत सरकार की संचित निधि में जमा करने के बजाय गलत शीर्ष में जमा कर दिया जिसे खुद बिहार सरकार ने स्वीकार किया है। साथ ही 7500 से ज्यादा क्रियान्वित एजेंसियों का अभी तक पीएफएमएस पोटर्ल पर बिहार मैपिंग नहीं कर पाया है जो केंद्र से राशि निर्गत करने की अनिवार्य शर्त है।
बिहार में वित्तीय संकट पैदा कर रही केंद्रः विजय चौधरी
बता दें कि नीतीश सरकार में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने केन्द्र सरकार पर हमला बोलते हुए बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार जान-बूझकर बिहार में वित्तीय संकट पैदा की कोशिश कर रही है। विजय चौधरी ने उदाहरण के तौर पर समग्र शिक्षा अभियान का जिक्र किया, जिसमें केंद्र एवं राज्य सरकार की भागीदारी 60 और 40 प्रतिशत है।