Edited By Swati Sharma, Updated: 01 Nov, 2022 03:52 PM

यह स्कूल बोधगया के बसाड़ी ग्राम पंचायत के सेवा बीघा में है। इस स्कूल का नाम पद्मपाणि हैं। इस स्कूल में बच्चों को फ्री शिक्षा दी जाती है, लेकिन इसके लिए उनसे स्कूल में सूखा कचरा मंगवाया जाता है। बच्चे घर से लाए कचरे को स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन...
बोधगयाः बिहार के बोधगया जिले में एक ऐसा अनोखा स्कूल है, जहां पर बच्चों से फीस नहीं ली जाती बल्कि प्लास्टिक का कचरा लिया जाता हैं। इतना ही नहीं कचरा लाने के लिए स्कूल द्वारा बच्चों को एक बैग भी दिया जाता है, जिसमें वह सूखा कचरा स्कूल ला सकें। वहीं स्कूल प्रबंधन इसी कचरे से स्कूल खर्च चलाता है। इस स्कूल में तकरीबन 250 बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।

बच्चों से स्कूल में मंगवाया जाता है सूखा कचरा
यह स्कूल बोधगया के बसाड़ी ग्राम पंचायत के सेवा बीघा में है। इस स्कूल का नाम पद्मपाणि हैं। इस स्कूल में बच्चों को फ्री शिक्षा दी जाती है, लेकिन इसके लिए उनसे स्कूल में सूखा कचरा मंगवाया जाता है। बच्चे घर से लाए कचरे को स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में नियमित रूप से डालते हैं। इसके बाद कचरे को रीसाइकिल होने के लिए भेज दिया जाता है। कचरे को बेचने के बाद जो भी रुपए एकत्रित किए जाते है। उन पैसों से ही बच्चों के लिए खाना, कपड़ा एवं किताबें आती हैं।
2014 में हुई थी स्कूल की स्थापना
वहीं स्कूल प्रबंधन वालों का कहना है कि इसके पीछे यह मुख्य कारण है कि बोधगया एक पर्यटन स्थल है। यहां पर हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसलिए स्कूल ने यह योजना बनाई है कि बोधगया को स्वच्छ व सुंदर कैसे दिखा सकते हैं। प्रदूषण को कम करने के लिए भी स्कूल ने ऐसी पहल की है। बता दें कि इस स्कूल की स्थापना वर्ष 2014 में की गई थी। इस स्कूल में कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। स्कूल को सरकार से मान्यता भी प्राप्त है। इस स्कूल में 250 गरीब परिवार के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहें हैं।

बेरोजगार लड़कियों को नि:शुल्क सिलाई का दिया जाता है प्रशिक्षणः मीरा
स्कूल के डायरेक्टर मनोरंजन कुमार ने कहा कि हर महीने 65 किलो कचरा इकट्ठा हो जाता है। इसके बाद कचरे को रीसाइकिल के लिए भेज दिया जाता है। साथ ही बताया कि हमारे स्कूल में प्रिंसिपल, 9 टीचर, 2 सुरक्षाकर्मी कार्यरत हैं। इस अभियान को स्वच्छ लोहिया बिहार अभियान से जोड़ा गया है। स्कूल की एचएम मीरा कुमारी ने बताया कि स्कूल इसलिए फीस के रूप में कचरे को लेता है ताकि बच्चों में जिम्मेदारी की भावना का एहसास हो सकें। साथ ही कहा कि स्कूल से 10 वीं पास बेरोजगार लड़कियों व महिलाओं को नि:शुल्क सिलाई का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।