Edited By Diksha kanojia, Updated: 01 Jun, 2023 10:12 AM

जानकारी के अनुसार, दुमका के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी जितेन्द्र राम की अदालत में बुधवार को सरैयाहाट (हंसडीहा) थाना कांड संख्या 128/2014 में सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई।
दुमकाः झारखंड में दुमका की एक अदालत ने जमीन हड़पने की नीयत से एक साजिश के तहत जीवित मां-बेटी को मृत घोषित कराने से संबंधित मामले के दोषी को तीन साल के कैद की सजा सुनाई है।
जानकारी के अनुसार, दुमका के अनुमंडल न्यायिक दंडाधिकारी जितेन्द्र राम की अदालत में बुधवार को सरैयाहाट (हंसडीहा) थाना कांड संख्या 128/2014 में सजा के बिंदु पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की ओर से बहस सुनने के बाद न्यायालय ने दोषी पाकर हंसडीहा थाना क्षेत्र के कसवा गांव निवासी रामेश्वर मंडल को भारतीय दंड विधान (भादवि) की धारा 420 के तहत एक साल के कारावास और दो हजार रुपए जुर्माना अदा करने तथा जुर्माने नहीं देने पर एक माह के अतिरिक्त कारावास एवं 467 के तहत तीन साल की कारावास होगी। वहीं तीन हजार रुपए जुर्माना अदा करने तथा जुर्माना अदा नहीं करने पर दो माह के अतिरिक्त कारावास, 468 के तहत एक साल के कारावास और तीन हजार रुपए जुर्माना अदा करने तथा जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर एक माह के अतिरिक्त जेल होगी। धारा 471 के तहत छह माह के कारावास और एक हजार रुपए जुर्माना अदा करने की सजा सुनाई गई।
इसी क्रम में जुर्माने की राशि अदा नहीं करने पर 15 दिन के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी। इस तरह आरोपी को कुल नौ हजार रूपए जुर्माना अदा करना होगा। सभी सजाएं साथ साथ चलेगी। मामले में सरकार की ओर से सहायक लोक अभियोजक खुशबुद्दीन अली ने न्यायालय में दो गवाह के पेश किये और अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किये तथा बहस में हिस्सा लिया। जानकारी के मुताबिक, जिले के हंसडीहा थाना क्षेत्र के कसवा गांव की रहने वाली काबेश्वरी देवी द्वारा दुमका व्यवहार न्यायालय में 29 मई 2014 को परिवाद पत्र दाखिल किया गया था।
न्यायालय द्वारा उक्त परिवाद पत्र को आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश देते हुए संबंधित थाना को भेज दिया गया। संबंधित थाने में एक जुलाई 2014 को भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत कांड संख्या 128/2014 दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया गया। दर्ज प्राथमिकी में हंसडीहा थाना क्षेत्र के कसवा मौजा के जमाबंदी नम्बर 05/24 से संबंधित एक आपत्ति वाद में वंशवृक्ष में परिवादी और उसकी जीवित लड़की को एक साज़शि के तहत मृत घोषित करा कर जमीन हड़पने का प्रयास किया गया था जबकि परिवादी और उसकी पुत्री जीवित हैं।