3 हजार शरणार्थियों को फिर से सता रहा है उजड़ने का डर, जमीन पर किसी और ने किया दावा

Edited By Khushi, Updated: 16 Mar, 2023 01:07 PM

fear of being uprooted again haunts 3 000 refugees

झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल प्रखंड के पूर्वी नारायणपुर गांव में 1965 से रह रहे लोगों को यहां से उजड़ने की चिंता सता रही है।

साहिबगंज: झारखंड के साहिबगंज जिले के राजमहल प्रखंड के पूर्वी नारायणपुर गांव में 1965 से रह रहे लोगों को यहां से उजड़ने की चिंता सता रही है। यहां 650 हिंदू परिवार के 3 हजार शरणार्थी दहशत में आ गए हैं।

मोहम्मद यूसुफ ने अनसर्वे भूमि पर ठोका दावा
बता दें कि प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार के दिनों बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी थी। इसके बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर की सरकार ने इन लाेगाें काे बसाने के लिए 2500 बीघा जमीन दी। अब उसी जमीन पर मो. यूसुफ समेत अन्य ने दावा ठोक दिया है। जानकारी के मुताबिक, 2012-13 में स्थानीय मोहम्मद यूसुफ ने अनसर्वे भूमि पर दावा करते हुए उपायुक्त साहिबगंज के न्यायालय में एक वाद दाखिल किया। कोर्ट ने सीमांकन कराने का निर्देश दिया था। अमल नहीं हुआ ताे 2019-20 में उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने 2020 में उपायुक्त काे सीमांकन कार्य कराने का निर्देश दिया। बाद में यूसुफ ने फिर हाईकोर्ट में आदेश अनुपालन की गुहार लगाई, जिस पर कोर्ट ने उपायुक्त से आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी। इस पर राजमहल के अंचलाधिकारी ने इन परिवाराें काे नोटिस देकर कहा है कि जहां वे बसे हैं, उस भूमि का उपायुक्त और हाईकोर्ट के आदेश पर सीमांकन किया जाएगा।

"बांग्लादेश से उजाड़ा गया, अब यहां से भी बेघर करने की तैयारी"
हाईकोर्ट के आदेश पर राजमहल एसडीओ रोशन शाह की अगुवाई में पुलिस पदाधिकारियों की टीम जमीन की मापी करने पहुंची ताे यहां बसे लोगों के हाेश उड़ गए। लाेगाें ने इसका विरोध किया। यहां बसे लोगों ने कहा कि एक बार बांग्लादेश से उजाड़ा गया। अब पूर्वी नारायणपुर गांव से भी बेघर करने की तैयारी है, क्योंकि जमीन का दस्तावेज होने के बावजूद प्रशासन साथ नहीं दे रहा। परिवारों का कहना है कि यह इलाका अनसर्वे लैंड का है। बांग्लादेशी घुसपैठिये पुलिस-प्रशासन की आंख में धूल झोंक कर उन लोगों को बेघर करने की कोशिश कर रहे हैं। इंसाफ के लिए वे अंतिम दम तक लड़ेंगे। हाईकोर्ट की भी शरण लेंगे।

"जमीन का सर्वे नहीं हुआ है"
वहीं, भारती मंडल, नयनतारा सरकार, सरस्वती मंडल, अर्जुन मंडल, विनोदिनी सरकार आदि ने बताया कि जिस जगह वो गुजर-बसर करते हैं उस जमीन का सर्वे नहीं हुआ है। 650 हिंदू परिवार यहां 2500 बीघा जमीन पर 1965 से रह रहे हैं। यहां उनका घर है। खेती-बारी भी करते हैं। उनके पास दस्तावेज उपलब्ध हैं। वो लोग पूर्वी पाकिस्तान से भाग कर यहां आए थे। तत्कालीन सरकार ने उनको यहां बसाया था। 1971 में उन्हें नागरिकता मिली थी।

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