धनबाद न्यायाधीश हत्या मामले पर HC ने फिर की CBI की खिचांई, नया हलफनामा दाखिल करने का दिया निर्देश

Edited By Diksha kanojia, Updated: 08 Jan, 2022 01:49 PM

hc again pulls up cbi on dhanbad judge murder case

इस पर अदालत ने गहरी नाराजगी जताई और सीबीआई को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि इस तरह हत्या का यह संगीन मामला कहीं एक ‘‘अबूझ पहेली'''' बनकर न रह जाए। मामले में अगली सुनवाई अब 14 जनवरी को होगी।

रांचीः केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय से कहा कि इस बात की भी आशंका है कि ऑटो चालक एवं उसके सहयोगी ने धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की हत्या उनका मोबाइल फोन छीनने के उद्देश्य से की होगी लेकिन अभी इस दृष्टिकोण से मामले की जांच जारी है।

इस पर अदालत ने गहरी नाराजगी जताई और सीबीआई को नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा कि इस तरह हत्या का यह संगीन मामला कहीं एक ‘‘अबूझ पहेली'' बनकर न रह जाए। मामले में अगली सुनवाई अब 14 जनवरी को होगी। सीबीआई ने अदालत को बताया कि अब तक इस मामले में 200 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की गई है और हत्या के दिन घटनास्थल के निकट के मोबाइल टॉवर से जुड़े सभी मोबाइल धारकों से पूछताछ की गई है लेकिन अभी तक इस मामले में कुछ स्पष्ट पता नहीं चल सका है। एजेंसी ने कहा कि आरोपियों की दोबारा ब्रेन मैपिंग और नार्को जांच कराई गई है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही अदालत को पुख्ता जानकारी दी जाएगी।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन व न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की खंडपीठ में न्यायाधीश की हत्या के मामले में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा कि मोबाइल फोन छीनने के उद्देश्य से न्यायाधीश की हत्या किए जाने की आशंका की जांच की जा रही है। पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले का खुलासा नहीं होने से हम चिंतित हैं। सीबीआई की ओर से अब एक नई कहानी सामने आ रही है। लेकिन सीसीटीवी फुटेज देखने पर ऐसा कुछ प्रतीत नहीं हो रहा है।'' अदालत ने नाराजगी भरे स्वर में कहा कि यदि अपराधियों का मोबाइल ही छीनने का उद्देश्य होता तो टक्कर मारने के बाद अपराधी मोबाइल फोन न्यायाधीश से ले लेते। इसने कहा कि सीबीआई की ओर से दी जा रही इस तरह की दलीलों से प्रतीत हो रहा है कि मामले की जांच पूरी नहीं हो पाएगी। पीठ ने कहा कि सीबीआई को इस मामले में पहले ही चेताया गया था कि समय बहुत महत्वपूर्ण है और समय बीतने पर अपराधी तथा पड्यंत्रकारियों को बचने की योजना बनाने का मौका मिल जाता है।

अदालत ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने हम पर भरोसा जताया था, लेकिन हम उन्हें (उच्चतम न्यायालय) कुछ परिणाम नहीं दे पा रहे हैं। सीबीआई कह रही है कि हमने इतना काम किया, पर परिणाम कुछ नहीं निकला है। अब डर है कि यह मामला अबूझ पहेली बनकर न रह जाए।'' पीठ ने कहा कि मामला अभी तक इसी ओर जाता दिख रहा है। इसने सीबीआई को 14 जनवरी को अगली सुनवाई के दौरान फिर से मामले में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इसने कहा, ‘‘इस मामले में सीबीआई ने अब तक सिर्फ दो लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। उसमें भी बिना मंशा के हत्या किए जाने की बात कही है। ऐसे में उन्हें धारा 302 के तहत सजा दिलाना लगभग असंभव है।'' न्यायाधीश की हत्या के मामले में जांच को लेकर इससे पूर्व भी अनेक बार झारखंड उच्च न्यायालय ने सवाल उठाया है।

सीबीआई ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि बड़े षड्यंत्र का खुलासा करने में समय लगता है। अदालत ने सीबीआई से यह भी पूछा कि जब हत्या में शामिल ऑटो चालक और उसके सहयोगी की न्यायाधीश से कोई दुश्मनी नहीं थी तो वह उनकी हत्या क्यों करेंगे? उच्च न्यायालय ने सीबीआई से इस मामले में हत्या की मंशा का जल्द पता लगाने को कहा। उल्लेखनीय है कि धनबाद के न्यायाधीश उत्तम आनंद की पिछले साल 28 जुलाई को सुबह की सैर के दौरान ऑटो से टक्कर मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में ऑटो चालक लखन वर्मा और उसके सहयोगी राहुल वर्मा को आरोपी बनाया गया है।

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