SC ने आईआईटी धनबाद को Btech में एक दलित छात्र को दाखिला देने का दिया निर्देश, जानें क्या है मामला

Edited By Khushi, Updated: 01 Oct, 2024 04:29 PM

sc directs iit dhanbad to admit a dalit student in b tech

उच्चतम न्यायालय ने बीते सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) धनबाद को बीटेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) कोर्स में एक दलित छात्र को दाखिला देने का निर्देश दिया।

धनबाद: उच्चतम न्यायालय ने बीते सोमवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) धनबाद को बीटेक (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) कोर्स में एक दलित छात्र को दाखिला देने का निर्देश दिया।

दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुजफ्फरनगर के खतौली निवासी याचिकाकर्ता अतुल कुमार की गुहार पर आईआईटी को निर्देश दिया कि वह अन्य छात्रों के दाखिले में बाधा डाले बिना उसे दाखिला देने के लिए एक अतिरिक्त सीट सृजित करें। पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता दलित छात्र 17,500 रुपये की दाखिला फीस समय पर जमा नहीं कर सका था। अदालत ने कहा कि वह एक दिहाड़ी मजदूर का बेटा है। ऐसे प्रतिभाशाली छात्र को यूं ही दाखिले से वंचित नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा,‘‘याचिकाकर्ता जैसे प्रतिभाशाली छात्र को अधर में नहीं छोड़ा जाना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को पूर्ण न्याय करने का अधिकार ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए प्राप्त है।‘ पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने दावा किया कि छात्र के परिवार ने 24 जून को शाम 4.45 बजे तक ग्रामीणों से 17,500 रुपये की राशि एकत्र कर ली थी, लेकिन तय तारीख की शाम पांच बजे की समय सीमा से पहले ऑनलाइन भुगतान नहीं कर सका। तब आईआईटी सीट आवंटन प्राधिकरण के एक अधिवक्ता ने दलील दी कि उनके लॉगिन विवरण से पता चलता है कि वह दोपहर तीन बजे लॉग इन हुए थे।

पीठ ने कहा कि उन्हें देखना चाहिए कि क्या कुछ किया जा सकता है क्योंकि एक दिहाड़ी मजदूर के परिवार के लिए 17,500 रुपये की व्यवस्था करना एक बड़ा काम था और उन्होंने ग्रामीणों से राशि जुटाई। शीर्ष अदालत ने महसूस किया कि ऐसा कोई कल्पनीय कारण नहीं था कि याचिकाकर्ता के पास 17,500 रुपये की राशि का भुगतान करने के लिए साधन होते तो वह राशि का भुगतान क्यों नहीं करता। उनकी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि पर विचार करते हुए पीठ ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के बड़े भाई आईआईटी खड़गपुर और एनआईटी हमीरपुर के छात्र थे। पीठ ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता 17,500 रुपये की राशि व्यक्तिगत रूप से अदा करेगा और उसे उसी बैच में प्रवेश दिया जाएगा जिसमें उसे प्रवेश दिया गया था और उसे छात्रावास प्रवेश जैसे सभी लाभ दिए जाने चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने दूसरे और अंतिम प्रयास में जेईई एडवांस परीक्षा पास की थी। उसने शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, झारखंड कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ-साथ उच्च न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया था।

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