Edited By Diksha kanojia, Updated: 05 May, 2022 05:35 PM
इनमें बेहतरीन 18 खिलाडियों का चयन अंडर-17 महिला फीफा वर्ल्ड कप 2022 के लिए होगा। ये बेटियां झारखण्ड का गौरव हैं। अब ये देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। उनके सपनों को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भी तत्परता...
रांचीः झारखण्ड की सात महिला खिलाड़ियों का चयन अंडर-17 महिला फीफा वल्डर् कप 2022 के प्रशिक्षण के लिए चयनित 33 भारतीय खिलाडियों में हुआ है। इनमें अंजली मुंडा, सलीना कुमारी, सुधा अंकिता तिर्की, अस्तम उरांव, पूर्णिमा कुमारी, नीतू लिंडा और अनीता कुमारी शामिल हैं। फिलहाल ये सभी जमशेदपुर में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं।
इनमें बेहतरीन 18 खिलाडियों का चयन अंडर-17 महिला फीफा वर्ल्ड कप 2022 के लिए होगा। ये बेटियां झारखण्ड का गौरव हैं। अब ये देश का प्रतिनिधित्व करेंगी। उनके सपनों को साकार करने के लिए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भी तत्परता दिखाई है। अंडर-17 फीफा वर्ल्ड कप के लिए चयनित पूर्णिमा ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि कोरना संक्रमण काल में हमारा विशेष ध्यान रखा गया। इससे पहले गोवा में संक्रमण की वजह से हमारा प्रशिक्षण प्रभावित हुआ था। खाने की भी समस्या थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने हमें झारखण्ड में ही प्रशिक्षण देने का कार्य किया। मैं गुमला से आती हूं। मेरे गांव में लड़कियों का फुटबॉल खेलने का चलन नहीं था, बावजूद इसके मैंने खेला। तीन वर्ष से खेल रही हूं। यह मेरे लिए सुखद अनुभूति है कि मैं अंडर-17 महिला फीफा वर्ल्ड कप 2022 के लिए प्रशिक्षण शिविर का हिस्सा बनी हूं।
मालूम हो कि 2021 के फरवरी-मार्च महीने में आयोजित फीफा वर्ल्ड कप में राज्य की आठ खिलाड़ी शामिल थीं। ये सभी तैयारी के लिए गोवा में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही थीं। संक्रमण की वजह से इन फुटबॉल खिलाड़ियों के दल में शामिल झारखण्ड की आठ महिला खिलाड़ी अपने घर लौट आई थीं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने इनके प्रशिक्षण की व्यवस्था रांची में करायी थी। इन लड़कियों को सहयोग प्रदान करने के लिए खेल विभाग की ओर से फुटबॉल किट एवं यूनिसेफ की ओर टी-शट्र्स प्रदान किया गया। यूनिसेफ ने चैंपियन आफ चेंज फॉर चाइल्ड राइट्स के रूप में चयनित खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ा है। यूनिसेफ इन्हें बाल अधिकारों, किशोर-किशोरियों के मुद्दों, समुचित पोषण की आवश्यकता, माहवारी स्वच्छता, मानसिक स्वास्थ्य एवं मनोसामाजिक परामर्श आदि मुद्दों पर सरकार को दिए जाने वाले तकनीकी सहयोग के रूप में प्रशिक्षित भी किया था।