Bihar Election: सातवीं बार जीत की तलाश में नंदकिशोर, पांच का दम दिखाने को बेताब आशा-अरुण

Edited By Nitika, Updated: 31 Oct, 2020 01:19 PM

nandkishore in search of victory for seventh time

बिहार में दूसरे चरण में पटना जिले में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता और पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव लगातार सातवीं बार जीत दर्ज करने की फिराक में हैं।

पटनाः बिहार में दूसरे चरण में पटना जिले में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता और पथ निर्माण मंत्री नंदकिशोर यादव लगातार सातवीं बार जीत दर्ज करने की फिराक में हैं। साथ ही भाजपा की आशा सिन्हा और मुख्य सचेतक अरुण कुमार सिन्हा ‘पांच का दम' दिखाने को बेताब हैं। वहीं लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों के ही करीबी माने जाने वाले श्याम रजक 25 वर्षो में पहली बार चुनावी मैदान से ओझल हो गए।

सिखों के दसवें गुरू गोविंद सिंह की जन्मस्थली के लिए चर्चित पटना साहिब सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है। इस सीट पर ढाई दशक से भाजपा का भगवा झंडा ही लहराता रहा है। नंदकिशोर यादव यहां के चुनावी पिच पर सिक्सर लगा चुके हैं। सातवीं बार जीत का सेहरा अपने नाम करने के इरादे से चुनावी मैदान में उतरे यादव को चुनौती देने के लिए महागठबंधन के घटक कांग्रेस ने प्रवीण कुशवाहा पर दाव लगाया है। इस सीट पर कुल 22 उम्मीदवार चुनावी अखाड़ें में उतरे हैं, जिनमें 18 पुरुष और 4 महिला शामिल हैं। यादव ने पटना साहिब सीट से वर्ष 1995 में भाजपा के टिकट से पहली बार चुनाव लड़ा और तत्कालीन विधायक जनता दल के प्रत्याशी महताब लाल सिंह को परास्त कर दिया। इसके बाद जीत का सिलसिला बदस्तूर वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहा।

वर्ष 2015 में यादव से टक्कर लेने के लिए राजद ने पटना नगर निगम के उप महापौर रह चुके और कभी नंदकिशोर यादव को अपना राजनीतिक गुरू बताने वाले संतोष मेहता को टिकट दिया। भाजपा के यादव ने राजद के मेहता को कड़े मुकाबले में 2792 मतों के अंतर से परास्त किया। दानापुर विधानसभा क्षेत्र से पांचवीं बार जीत पाने उतरीं भाजपा विधायक आशा देवी के विजय रथ को रोकने के लिए राजद ने बाहुबली नेता और कई अपराधिक मामलों में जेले में बंद पूर्व विधान पार्षद रीत लाल यादव पर दाव लगाया है। इस क्षेत्र से 19 प्रत्याशी चुनावी रण में उतरे हैं, जिसमें 18 पुरुष और एक महिला शामिल है।

वर्ष 2010 के चुनाव में भी आशा देवी ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ यादव को पराजित किया था। वर्ष 2015 में भाजपा उम्मीदवार आशा देवी ने राजद के राजकिशोर यादव को 5209 मतों से हराया था। आशा देवी ने पहली बार वर्ष फरवरी 2005 के चुनाव में जीत दर्ज की थी। इसके बाद उन्होंने अक्टूबर 2005, वर्ष 2010 और 2015 का चुनाव भी चुनाव जीता। दानापुर विधानसभा क्षेत्र पर कभी भाजपा तो कभी राजद का कब्जा रहा है। राजद अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव दानापुर से वर्ष 2000 में निर्वाचित हुए थे। कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र भी भाजपा का गढ़ माना जाता है। बिहार विधान सभा के मुख्य सचेतक अरुण कुमार सिन्हा इस सीट से लगातार पांचवी बार जीतने की आस लगाए हुए है। भाजपा के सिन्हा को चुनौती देने के लिए राजद ने धर्मेन्द्र चंद्रवंशी को उम्मीदवार बनाया है।

वर्ष 2005 फरवरी में भाजपा के टिकट से पहली बार विधायक बने सिन्हा ने इसके बाद वर्ष अक्टूबर 2005, वर्ष 2010 और वर्ष 2015 का चुनाव भी जीता। इससे पूर्व बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी वर्ष 1990, 1995 और 2000 में इस क्षेत्र का प्रतिनिधत्व कर चुके हैं। वर्ष 2015 में भाजपा के सिन्हा ने कांग्रेस के अकील हैदर को 37275 मतों के अंतर से मात दी थी। कुम्हरार विधानसभा क्षेत्र से 24 प्रत्याशी चुनावी दंगल में उतरे हैं, जिसमें 23 पुरुष और एक महिला शामिल है।

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