पटना HC के फैसले के खिलाफ सुब्रत रॉय की याचिका पर 13 जुलाई को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

Edited By Ramanjot, Updated: 21 May, 2022 02:24 PM

hearing in the supreme court on july 13 on subrata roy s petition

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ ने बिहार सरकार के वकील के अनुरोध पर गौर करते हुए अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख मुकर्रर की। दरअसल, वकील ने कहा था कि राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ वक्त...

नई दिल्ली/पटनाः उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय की व्यक्तिगत पेशी संबंधी पटना उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने वाली याचिका पर 13 जुलाई को सुनवाई करेगा। उच्च न्यायालय ने सहारा समूह की कुछ कंपनियों द्वारा निवेशकों का पैसा न लौटाए जाने के सिलसिले में बिहार के पुलिस महानिदेशक को सहारा प्रमुख को व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया था, जिस पर शीर्ष अदालत ने रोक लगा दी थी।

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति जे. बी. परदीवाला की पीठ ने बिहार सरकार के वकील के अनुरोध पर गौर करते हुए अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तारीख मुकर्रर की। दरअसल, वकील ने कहा था कि राज्य सरकार को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ वक्त चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘बिहार सरकार के वकील के अनुरोध पर सुनवाई चार हफ्तों के लिए टाली जाती है, ताकि वह (राज्य) जवाबी हलफनामा दाखिल करने में सक्षम हो सके। मामले को 13 जुलाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। अंतरिम आदेश अगली तारीख तक प्रभावी रहेगा।''

शीर्ष अदालत ने 13 मई को उच्च न्यायालय के संबंधित निर्देश पर रोक लगा दी थी। उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल को रॉय को व्यक्तिगत रूप से उसके समक्ष पेश होने का निर्देश देते हुए कहा था कि सहारा समूह और एक महीने पहले तक पैसे जमा ले रही अन्य कंपनियां निवेशकों की रकम लौटाने की योजना के साथ उपलब्ध हों। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेशों के खिलाफ सहारा प्रमुख की याचिका पर 13 मई को नोटिस जारी किया था।

पीठ ने शुक्रवार को सुनवाई प्रारंभ होने पर कहा कि इस मामले में जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त मांगा गया है। एक हस्तक्षेपकर्ता की ओर से पेश हुए एक अधिवक्ता ने कहा कि उच्च न्यायालय में 2,000 हस्तक्षेप अर्जियां लंबित हैं और शीर्ष न्यायालय को निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए कुछ करना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘आप सही कह रहे हैं। आपकी अपेक्षाएं वास्तविक अपेक्षाएं हो सकती हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस कार्यवाही में हमें उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के तौर पर ऐसा करना चाहिए।''

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