बिहार विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के बाद बैठक स्थगित

Edited By Ramanjot, Updated: 25 Nov, 2024 04:57 PM

meeting of bihar vidhan mandal was adjourned after paying tribute

सभाध्यक्ष ने सदन को अवगत कराया कि तरारी से निर्वाचित विशाल प्रशांत कल शपथ ग्रहण करेंगे। नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद सभा अध्यक्ष ने अध्यासी सदस्यों के मनोनयन और कार्यमंत्रणा समिति के गठन की घोषणा की। इसके बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी...

पटना: बिहार विधान मंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को विधानसभा में तीन नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण और दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि देने के बाद दोनों सदनों की बैठक दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। विधानसभा में सभाध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने सभा के तीन नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाई। सबसे पहले रामगढ़ से निर्वाचित अशोक सिंह और उसके बाद इमामगंज (सु) से निर्वाचित दीपा कुमारी और बेलागंज से मनोरमा देवी ने शपथ ग्रहण किया है।

सभाध्यक्ष ने सदन को अवगत कराया कि तरारी से निर्वाचित विशाल प्रशांत कल शपथ ग्रहण करेंगे। नवनिर्वाचित विधायकों के शपथ ग्रहण के बाद सभा अध्यक्ष ने अध्यासी सदस्यों के मनोनयन और कार्यमंत्रणा समिति के गठन की घोषणा की। इसके बाद उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने वित्तीय वर्ष 2024-2025 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरण का उपस्थापन किया। इससे पहले सभाध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने अपने प्रारंभिक संबोधन में सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान सत्र में कुल पांच बैठकें निर्धारित है। इसमें प्रश्न काल और लोक महत्व की सूचनाओं के साथ वित्तीय वर्ष 2024-2025 के द्वितीय अनुपूरक व्यय विवरणी का व्यवस्थापन होगा। इसके साथ ही इस सत्र में राजकीय विधेयक लिए जाएंगे और गैर सरकारी संकल्प की सूचनाएं भी निपटाई जाएगी।

नंदकिशोर यादव ने कहा कि संसदीय प्रणाली लोकतंत्र के प्रभावी संरक्षण के लिए अनिवार्य है क्योंकि शक्ति के विकेंद्रीकरण, जनता की भागीदारी और सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करती है। इसमें विधायकों की भूमिका एक सेतु की तरह होती है, जो जनता और सरकार के बीच संवाद स्थापित करती है। सदन में विचार विमर्श का मुद्दा लोकतंत्र की बुनियादी संरचना और उसके सुचारू संचालन में निहित है। ये महज एक प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल तत्व है। यह समाज को न्याय, समानता और प्रगति की दिशा में आगे बढ़ने का आधार प्रदान करती है। ऐसे में सदन में विचार विमर्श को प्रभावी और समावेशी बनाना ये हम सभी प्रतिनिधियों का कर्तव्य है। 

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