Edited By Swati Sharma, Updated: 17 Feb, 2023 05:02 PM
उपेंद्र कुशवाहा ने हाथ जोड़कर नीतीश कुमार से कहा कि जिन लोगों ने आप को अगल-बगल घेर लिया है, उन लोगों के अनुसार मत चलिए, उनको भूल जाइए, बड़ी कुर्बानी देकर समता पार्टी का निर्माण हुआ था। कर्पूरी ठाकुर के बाद की विरासत को नीतीश कुमार ने संभालने का काम...
पटना(अभिषेक कुमार सिंह): बिहार में अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा द्वारा राजधानी पटना में पटेल सेवा संघ, दरोगा राय पथ पर छत्रपति शिवाजी महाराज की 393वीं जयंती समारोह सह जननायक कर्पूरी ठाकुर जी का 36वीं पुण्यतिथि समारोह का आयोजन किया गया। दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उद्घाटन जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने किया। उपेंद्र कुशवाहा ने कर्पूरी ठाकुर और छत्रपति शिवाजी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने कहा कि जननायक के बाद की विरासत को नीतीश कुमार ने संभालने का काम किया हैं।
"नीतीश जी जिन लोगों ने आपको घेरा है, उनके अनुसार मत चलिए"
उपेंद्र कुशवाहा ने हाथ जोड़कर नीतीश कुमार से कहा कि जिन लोगों ने आप को अगल-बगल घेर लिया है, उन लोगों के अनुसार मत चलिए, उनको भूल जाइए, बड़ी कुर्बानी देकर समता पार्टी का निर्माण हुआ था। कर्पूरी ठाकुर के बाद की विरासत को नीतीश कुमार ने संभालने का काम किया, वरना दूसरी विरासत वाले लोग भी पहले प्रयास कर रहे थे, लेकिन लव कुश समाज और अति पिछड़ा समाज के लोगों ने उन लोगों को ताकत नहीं दिया, ताकत नीतीश कुमार को दिया। विरासत निश्चित तौर पर नीतीश कुमार के हाथ में आई लेकिन आज उस विरासत का क्या होगा यह चिंता का विषय है। पहले भी हमने कहा है उपेंद्र कुशवाहा का चेहरा अगर नहीं लगता हो कि मुनासिब है तो लव-कुश समाज में अकेले उपेंद्र कुशवाहा नहीं है बहुत सारे लोग हैं, उनमें से किसी का चेहरा ले आइए। किसी को भी ले आइए लेकिन इस विरासत को आगे ठीक से लेकर चला जा सके इस बात की चिंता कीजिए, लेकिन आज जो कुछ भी हो रहा है अब घोषणा हो चुकी है और जो घोषणा हुई है।
नीतीश का 17-18 साल से कोई नहीं कॉम्पटीटरः कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा नीतीश कुमार का 17-18 साल से कोई कॉम्पटीटर नहीं है। 2020 में जो विधानसभा का चुनाव हो रहा था उस वक्त हम साथ नहीं थे, लेकिन उस समय भी "15 साल बनाम 15 साल" का नारा हुआ और मुख्यमंत्री के तौर पर नीतीश कुमार द्वारा सीएम बने। जो पहले वाला 15 साल था उस समय बिहार की क्या स्थिति थी। पुराना 15 साल किस रूप में चल रहा था। उसको लोगों ने रिजेक्ट किया और नीतीश कुमार के हाथ में सत्ता सौंपने का काम किया। लेकिन दुर्भाग्य इस बात का हो गया नीतीश कुमार जब तक अपने मन से निर्णय ले रहे थे तब तक तो बहुत अच्छा चल रहा था, लेकिन जब से अगल बगल में उनके 4 लोग बैठ गए और उनकी इच्छा से नीतीश कुमार चल रहे हैं तब से गड़बड़ हो गया है। लव-कुश अति पिछड़ा समाज जिन लोगों ने ताकत देने का काम किया वह लोग नीतीश कुमार को चाहते हैं।
"नीतीश का नाम इतिहास में रखा जाएगा याद"
कुशवाहा ने कहा कि उसके हिसाब से मैं कहना चाहता हूं लवकुश समाज की जो माताएं हैं उनकी कोख सूनी नहीं हुई है आप इस विरासत को फिर वही सौंपने की बात होगी जहां से विरासत को छीन कर लाए थे यह नहीं चलेगा। तूफान से कश्ती को हम लोग इसलिए निकाल कर लाए थे कि फिर से उसी तूफान में धकेलने का काम करें। इस विरासत को संभालने की जवाबदेही किसी लव-कुश समाज के या फिर अति पिछड़ा समाज के किसी को दी जाए, लेकिन फिर से बिहार उसे खौफनाक मंजर की ओर जाएगा तो इतिहास हमें भी माफ नहीं करेगा। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा हुंकार भरने की जरूरत इसलिए पड़ी थी की पटना के गांधी मैदान में जो प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे उनके लोगों ने भी उस वक्त जो सत्ता में लोग बैठे हुए थे उनको सप्ताह में बैठाने में ताकत लगाने का काम किया था, तत्कालीन सत्ता में बैठे हुए लोगों को उन लोगों ने भी ताकत दी तब वह सत्ता में बैठे थे। लेकिन जो लोग सत्ता में बैठ गए दुर्भाग्य इस बात का हुआ कि खुद तो बैठ गए लेकिन जिनके ताकत की बदौलत सत्ता में बैठे उनको ही भूलने लगे। इतिहास नीतीश कुमार का नाम हमेशा याद रखेगा, जो बिहार की स्थिति उस समय थी उस स्थिति से नीतीश कुमार ने बिहार को निकाला।