Edited By Ramanjot, Updated: 19 Dec, 2025 09:51 PM

संसद का शीतकालीन सत्र 2025 बेहद हंगामेदार रहा – विपक्ष के प्रदर्शन, वॉकआउट और तीखी बहसें। लेकिन 19 दिसंबर को सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद माहौल पूरी तरह बदल गया।
PM Modi Priyanka Gandhi Meeting: संसद का शीतकालीन सत्र 2025 बेहद हंगामेदार रहा – विपक्ष के प्रदर्शन, वॉकआउट और तीखी बहसें। लेकिन 19 दिसंबर को सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद माहौल पूरी तरह बदल गया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की परंपरागत चाय पार्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा समेत सत्ता और विपक्ष के बड़े नेता एक साथ जुटे। तस्वीरों में सभी मुस्कुराते और सहज नजर आए – लोकतंत्र की खूबसूरती का बेहतरीन नजारा!
प्रियंका गांधी और PM मोदी की खास बातचीत
इस चाय पार्टी की सबसे चर्चित तस्वीर रही पीएम मोदी और प्रियंका गांधी की। राहुल गांधी की अनुपस्थिति में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रही प्रियंका रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बगल में बैठीं। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका ने अपने संसदीय क्षेत्र वायनाड से आने वाली एक खास जड़ी-बूटी का जिक्र किया, जो एलर्जी से बचाती है। इस पर पीएम मोदी और राजनाथ सिंह मुस्कुरा पड़े। प्रियंका ने पीएम की हालिया तीन देशों की विदेश यात्रा के बारे में भी पूछा, जिस पर मोदी ने सकारात्मक जवाब दिया। माहौल इतना हल्का था कि ठहाके गूंजे। प्रियंका पहली बार सांसद होने के बावजूद पूरी सहजता से शामिल हुईं।

सांसदों की मांग और पीएम का मजाकिया अंदाज
चाय की चुस्कियों के बीच सांसदों ने नए संसद भवन में पुराने की तरह एक सेंट्रल हॉल बनाने की मांग रखी, जहां अनौपचारिक चर्चाएं हो सकें। कुछ ने देर रात तक सत्र चलाने को थकाने वाला बताया और सत्र अवधि बढ़ाने का सुझाव दिया।
पीएम मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज में विपक्ष पर चुटकी ली – कहा कि हंगामे की वजह से सत्र छोटा रहा, ताकि विपक्षी सांसदों की आवाज खराब न हो! साथ ही, उन्होंने विपक्षी सांसद एनके प्रेमचंद्रन की तारीफ की कि वे हमेशा पूरी तैयारी के साथ सदन में आते हैं। प्रियंका ने भी इस बात से सहमति जताई। एक सांसद की शिकायत पर पीएम ने मजाक में कहा कि सेंट्रल हॉल रिटायरमेंट के बाद के लिए है – अभी तो सेवा बाकी है!

लोकतंत्र की जीत
यह चाय पार्टी संसदीय परंपरा का प्रतीक है, जो सत्र की तल्खी को पीछे छोड़ सौहार्द का संदेश देती है। इस बार विपक्ष की मौजूदगी खास रही, क्योंकि पिछले कुछ सत्रों में कांग्रेस ने इसका बहिष्कार किया था। कुल मिलाकर, हंगामे के बाद यह गर्मजोशी भारतीय लोकतंत्र की मजबूती दिखाती है।