पटना में डच कालीन जिला अभियंता कार्यालय भवन के एक बड़े हिस्से पर चला बुलडोजर

Edited By PTI News Agency, Updated: 05 Jul, 2022 10:22 AM

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पटना, चार जुलाई (भाषा) पटना में ऐतिहासिक जिला अभियंता कार्यालय भवन के एक बड़े हिस्से पर रविवार को बुलडोजर चला दिया गया।

पटना, चार जुलाई (भाषा) पटना में ऐतिहासिक जिला अभियंता कार्यालय भवन के एक बड़े हिस्से पर रविवार को बुलडोजर चला दिया गया।

यह कार्रवाई ऐसे दिन की गई, जब नागरिकों का एक समूह सुल्तान पैलेस और अन्य विरासत भवनों को ढहाए जाने से बचाने के तरीकों पर चर्चा के लिए बैठक कर रहा था।

नाम उजागर ना करने की शर्त पर एक स्थानीय युवा ने कहा, ‘‘पुराने जिला अभियंता कार्यालय भवन का एक बड़ा हिस्सा आज (रविवार को) बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। ऐतिहासिक ढांचे को गिराने की प्रक्रिया पूर्वी हिस्से से शुरू की गई। मैंने बचपन से इस इमारत को देखा है। हमारा छोटा सा घर इसके ठीक पीछे था, जिसे हाल ही में एक नया कलेक्ट्रेट परिसर बनाने के लिए गंगा नदी तट पर बस्ती के अन्य ढांचों के साथ ढहा दिया गया था।’’
वास्तुशिल्प विशेषज्ञों के मुताबिक जिला अभियंता कार्यालय भवन, डच काल में बनाया गया था। यह मूल रूप से एक मंजिला ढांचा था, जिसके गंगा की ओर खुलते विशाल कमरे थे जिनकी ऊंची छतें थीं। वास्तुकला विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले सौ वर्षों में कार्यालयों में अतिरिक्त जगह बनाने के लिए छत पर कई निर्माण किए गए।
तीन सदी पहले पटना एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र था, और डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने गंगा के तट पर कई इमारतों का निर्माण किया था। 1857 के बाद से इस इमारत का इस्तेमाल अंग्रेज़ों द्वारा पटना कलेक्ट्रेट के रूप में किया जाने लगा।
पटना में पिछले 10-12 वर्षों में विरासतीय भवनों पर चल रही विध्वंस की लहर से व्यथित और हाल ही में सदियों पुराने पटना कलेक्ट्रेट पर की गई कार्रवाई के मद्देनज़र नागरिकों का एक समूह रविवार को इस फैसले को पलटने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए मिला।
बैठक में भाग लेने वाले पटना के मूल निवासी और शोधार्थी पुष्कर राज ने कहा, बैठक इस उम्मीद से की गयी कि भविष्य में किसी अन्य विरासतीय भवन का हश्र ऐसा न हो।

बैठक में हिस्सा लेने वाले लोगों में, पुरुषों और महिलाओं, युवाओं,छात्रों, वृद्धों के अलावा, ‘‘सेव हिस्टोरिक पटना कलेक्ट्रेट’’ के सदस्य भी शामिल थे।
यह नागरिकों द्वारा की गई एक पहल थी, जिसने 2016 में सरकार द्वारा इसके विध्वंस की घोषणा के तुरंत बाद कलेक्ट्रेट को बचाने के लिए छह साल तक लड़ाई लड़ी थी।
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने 13 मई को 18वीं शताब्दी के पटना कलेक्ट्रेट परिसर को ढहाए जाने का रास्ता साफ करते हुए कहा था कि औपनिवेशिक शासकों द्वारा बनाई गई प्रत्येक इमारत को संरक्षित करने की आवश्यकता नहीं है। पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास (आईएनटीएसीएच) की ओर से दाखिल याचिका खारिज कर दी।

इसके अगले ही दिन तोड़फोड़ शुरू हो गई थी और 1938 में बनी जिला बोर्ड पटना इमारत पर सबसे पहले बुलडोजर चलाया गया था।



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