Edited By Khushi, Updated: 08 Jul, 2024 04:06 PM
लंबे समय से आंदोलन रत राज्य के 1600 सहायक पुलिस कर्मियों ने आज विशेष सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए, जिसके बाद सुरक्षा में लगे अधिकारियों के हाथ पांव फुल गए। अधिकारियों ने इन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन ये...
रांची: लंबे समय से आंदोलन रत राज्य के 1600 सहायक पुलिस कर्मियों ने आज विशेष सत्र के दौरान विधानसभा के बाहर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठ गए, जिसके बाद सुरक्षा में लगे अधिकारियों के हाथ पांव फुल गए। अधिकारियों ने इन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन ये पुलिसकर्मी वार्ता कराने की मांग पर अड़े रहे।
सहायक पुलिस कर्मियों ने कहा कि पिछले 7 वर्षों में एक पैसा भी मानदेय में नहीं बढ़ा है। सरकार आश्वासन देती है, लेकिन उसे पूरा नहीं करती। निषेधाज्ञा वाले क्षेत्र में कानून तोड़कर पहुंच जाने के सवाल पर सहायक पुलिस स्मिता कहती हैं कि आखिर उनके पास रास्ता क्या बचा हुआ है, वह पिछले कई दिनों से मोरहाबादी मैदान में आंदोलन पर हैं, लेकिन कोई उनका हाल समाचार लेने भी नहीं पहुंचा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि मानदेय बढ़ाया जाए। बता दें कि विधानसभा सत्र के दौरान विधानसभा के सम्पूर्ण क्षेत्र में धारा 144 लागू रहता है। वहीं, इस संबंध में पूर्व मंत्री और जेएमएम के विधायक हफीजुल अंसारी ने कहा कि आज इन्हें इस तरह धरना प्रदर्शन नहीं करना चाहिए था। अभी वर्तमान में सरकार की स्थिति क्या है ये देख ही रहे हैं।
बता दें कि राज्य के उग्रवाद प्रभावित 12 जिलों की सहायक पुलिस अपनी मांगों को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन आंदोलन पर है। सहायक पुलिस कर्मियों का कहना है कि रघुवर दास की सरकार के दौरान 2017 में राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में विधि व्यवस्था दुरुस्त रखने में सहायता के लिए इन सहायक पुलिस की नियुक्ति हुई थी। तब उन्हें 10 हजार रुपये मासिक दिया जाता था। सहायक पुलिसकर्मियों की मानें तो आज भी उन्हें 10 हजार रुपया ही मिलता है।