CM हेमंत सोरेन के दिल्ली दौरे से गरमाई झारखंड की सियासत, सत्तारूढ़ गठबंधन में तनाव की अटकलें तेज

Edited By Khushi, Updated: 04 Dec, 2025 10:40 AM

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रांची: झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दलों झामुमो, कांग्रेस एवं राजद के रिश्तों में “तनाव” की खबरों तथा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली दौरों के बीच राज्य में राजनीतिक बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं।

रांची: झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी दलों झामुमो, कांग्रेस एवं राजद के रिश्तों में “तनाव” की खबरों तथा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के दिल्ली दौरों के बीच राज्य में राजनीतिक बदलाव की अटकलें तेज हो गई हैं। झारखंड में संभावित सियासी बदलाव की अटकलें तब शुरू हुई थी, जब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दिवंगत नेता शिबू सोरेन के दिल्ली के एक अस्पताल में भर्ती होने के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई वरिष्ठ नेता उनका हालचाल जानने पहुंचे थे। अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी विधायक पत्नी कल्पना सोरेन के राष्ट्रीय राजधानी में लंबे प्रवास तथा भाजपा नेताओं के साथ उनकी कथित बैठकों के बाद इन अटकलों को बल मिला है। इससे पहले, बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान झामुमो ने राज्य की एक भी सीट पर उम्मीदवार नहीं उतारने की घोषणा की थी। पार्टी ने कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर “राजनीतिक साजिश” रचने तथा महागठबंधन में शामिल होने के बावजूद उसे सीटों से वंचित रखने का आरोप लगाया था।

"बिहार चुनाव में सीट नहीं मिलना बहुत मामूली बात है"
झामुमो ने यह भी कहा था कि वह विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' में अपनी भूमिका की समीक्षा करेगी। झामुमो की इस घोषणा के कुछ हफ्तों बाद झारखंड में सियासी रहस्य गहरा गया है, खासकर मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी के 28 नवंबर को दिल्ली पहुंचने तथा वहां कई दिनों तक रुकने के कारण। हालांकि, दोनों झारखंड विधानसभा के पांच दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र के मद्देनजर बुधवार शाम रांची लौट आए। बहरहाल, झामुमो और कांग्रेस दोनों ने झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन में तनाव तथा राज्य में संभावित सियासी बदलाव की अटकलों को “अफवाह” करार देते हुए खारिज किया है। कांग्रेस विधायक और प्रदेश के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा, “इसमें (राज्य में सियासी उथल-पुथल की अटकलों में) कोई सच्चाई नहीं है।” उन्होंने कहा, “(झारखंड विधानसभा में) विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया' के पास 56 सीटें हैं... बिहार चुनाव में सीट नहीं मिलना बहुत मामूली बात है... हम इसकी समीक्षा कर रहे हैं।” किशोर ने इन अटकलों को खारिज कर दिया कि झारखंड में राजकोषीय संकट के कारण गठबंधन समीकरणों में बदलाव की जरूरत को बल मिल रहा है। एक अन्य कांग्रेस विधायक एवं मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने कहा, “अटकलें पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद हैं। भाजपा अफवाह फैलाने की कोशिश कर रही है। मुख्यमंत्री ने भाजपा के सामने झुकने के बजाय जेल जाना पसंद किया। झारखंड की जनता ने गठबंधन को एक मजबूत और एकतरफा जनादेश दिया, जो दृढ़ता के साथ राज्य पर शासन करेगा।”

"झारखंड न झुका है और न झुकेगा"
कांग्रेस की झारखंड इकाई के पूर्व अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने भाजपा पर राज्य में सियासी बदलाव की अफवाहें फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “(झारखंड में विधानसभा) चुनाव से पहले छह महीने तक सलाखों के पीछे रहे मुख्यमंत्री को शानदार जीत मिली... वह भाजपा के साथ क्यों जाएंगे?” प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने महागठबंधन में दरार की खबरों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “महागठबंधन में सब कुछ ठीक है। गठबंधन के सभी सहयोगी एकजुट हैं...यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।” सोरेन के दिल्ली दौरे पर कमलेश ने कहा कि यह “बकाया केंद्रीय निधि” और राज्य के विकास से सिलसिले में था। वहीं, झामुमो ने कहा कि यह दौरा “परिवार में किसी चिकित्सा स्थिति के कारण” था, जबकि पार्टी सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में मुख्यमंत्री ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जुड़े मामलों के सिलसिले में वकीलों की सलाह भी ली। झामुमो प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल सारंगी ने राज्य में सियासी बदलाव की अटकलों को खारिज करते हुए कहा, “झारखंड न झुका है और न झुकेगा।” झारखंड में सियासी बदलाव की अटकलों को इन दावों से और हवा मिल गई कि सोरेन दंपती ने राष्ट्रीय राजधानी में एक वरिष्ठ भाजपा नेता से मुलाकात की, जबकि राज्यपाल संतोष गंगवार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक की। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 81 सदस्यीय विधानसभा में सीटों का गणित भी अटकलों को हवा दे रहा है। झामुमो के पास 34 विधायक हैं और उसे बहुमत के लिए महज सात और सदस्यों के समर्थन की जरूरत है।

"भाजपा औपचारिक रूप से सत्ता में भागीदार नहीं बनेगी"
पूर्व विधायक कुणाल सारंगी ने कहा कि कांग्रेस के पास 16 विधायक हैं और ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सोरेन के नेतृत्व में “भाजपा के समर्थन वाली और कांग्रेस रहित सरकार के गठन के लिए” पार्टी के कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं। हालांकि, ऐसे परिदृश्य में अयोग्यता से बचने के लिए कम से कम 11 कांग्रेस विधायकों को दल बदलने की आवश्यकता होगी। भाजपा ने अपनी ओर से गठबंधन की किसी भी संभावना से इनकार किया है। पार्टी ने सोरेन सरकार पर “भ्रष्टाचार में डूबे” रहने का आरोप लगाया है। वरिष्ठ पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा औपचारिक रूप से सत्ता में भागीदार नहीं बनेगी, लेकिन अगर कांग्रेस कमजोर पड़ती है, तो वह झामुमो को “बाहरी समर्थन” देने पर विचार कर सकती है। हालांकि, विश्लेषकों का मानना कि भाजपा से नजदीकी हेमंत सोरेन को सियासी पक्ष पर महंगी पड़ सकती है, क्योंकि ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद आदिवासी मतदाताओं के बीच उनका जनाधार बढ़ा है।

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