Edited By Khushi, Updated: 12 Dec, 2025 11:48 AM

Jharkhand News: जन्म से बिना हाथ के गुरु जी गुलशन लोहार की कहानी आज पूरे झारखंड में प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी है। दिव्यांगता उनके सपनों के आगे कभी दीवार नहीं बन पाई। हाथ नहीं है तो क्या हुआ उन्होंने पैरों से लिखना सीखकर कामयाबी हासिल की।
Jharkhand News: जन्म से बिना हाथ के गुरु जी गुलशन लोहार की कहानी आज पूरे झारखंड में प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी है। दिव्यांगता उनके सपनों के आगे कभी दीवार नहीं बन पाई। हाथ नहीं है तो क्या हुआ उन्होंने पैरों से लिखना सीखकर कामयाबी हासिल की।

पैरों से लिखकर अपने विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं गुलशन
गुलशन लोहार बरंगा गांव के रहने वाले हैं। गुलशन पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनकी मां ने उन्हें पैरों से लिखना सिखाया। गुलशन ने अपने गांव से हर रोज 65 किलोमीटर दूर चक्रधरपुर तक ट्रेन से सफर करते हुए बीएड और एमएड की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें SAIL की पहल पर बरंगा उत्क्रमित उच्च विद्यालय में संविदा पर गणित शिक्षक के रूप में नौकरी मिली। वह ब्लैकबोर्ड पर पैरों से लिखते हैं और अपने विद्यार्थियों को पढ़ाते हैं।

दिव्यांगता किसी इंसान की मंजिल तय नहीं करती
क्लास 10 के एक छात्र ने कहा कि सर के पढ़ाने में कभी महसूस नहीं होता कि वह दिव्यांग हैं, वह बहुत सरल तरीके से समझाते हैं और कभी नाराज नहीं होते। वहीं, खुद गुलशन लोहार का कहना है कि उनकी ज़िंदगी का मकसद यह साबित करना है कि दिव्यांगता किसी इंसान की मंज़िल तय नहीं करती।