"नवादा में दलितों के घर जलाने के मामले की हो CBI जांच", पीड़ितों से मिलने के बाद जीतन राम मांझी ने की मांग

Edited By Ramanjot, Updated: 23 Sep, 2024 10:38 AM

cbi should investigate case of burning of houses of dalits in nawada  manjhi

मांझी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “जांच में पता चला है कि इस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में भी भू-माफिया शामिल हैं। मैंने कई बार कहा है कि ऐसे मामलों में हमेशा राजद नेताओं की संलिप्तता पाई गई है। इस घटना की सीबीआई से जांच होनी चाहिए ताकि...

नवादा: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने बिहार के नवादा जिले में लोगों के एक समूह द्वारा 34 घरों में आगजनी की घटना के चार दिन बाद, रविवार को इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की। केंद्रीय मंत्री और राजग के सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक मांझी ने रविवार को नवादा के मुफस्सिल थाना अंतर्गत मांझी टोला इलाके का दौरा किया, जहां बुधवार शाम करीब 7.15 बजे लोगों के एक समूह ने 34 घरों में आग लगा दी थी। 

मामले में मुख्य आरोपी समेत कुल 15 लोग गिरफ्तार
पुलिस ने अब तक इस मामले में मुख्य आरोपी नंदू पासवान समेत कुल 15 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में 15 गिरफ्तार आरोपियों सहित 28 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। केंद्रीय मंत्री ने नवादा के जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) से भी मुलाकात की और पीड़ितों के लिए उठाए जा रहे कदमों पर चर्चा की। मांझी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “जांच में पता चला है कि इस मामले के साथ-साथ अन्य मामलों में भी भू-माफिया शामिल हैं। मैंने कई बार कहा है कि ऐसे मामलों में हमेशा राजद नेताओं की संलिप्तता पाई गई है। इस घटना की सीबीआई से जांच होनी चाहिए ताकि घटना में शामिल लोगों का पर्दाफाश हो और उन्हें सजा मिले। मैं मामले की सीबीआई जांच की मांग करता हूं।” राज्य सरकार ने शुक्रवार को मुफ्फसिल थानाध्यक्ष (एसएचओ) को घटना के बाद ‘खुफिया जानकारी जुटाने' में कथित विफलता के लिए तलब किया। 

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मुख्यमंत्री नीतीश ने भी की थी घटना की निंदा
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को घटना की निंदा की थी और अपर पुलिस महानिदेशक (विधि व्यवस्था) को मौके पर जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया था। नीतीश कुमार ने सभी संदिग्धों को जल्द से जल्द पकड़ने की जरूरत पर भी जोर दिया था। जांच से संकेत मिलता है कि जमीन विवाद के कारण हिंसा भड़की होगी। जांच में पता चला कि कुल 34 घरों में से 21 पूरी तरह से नष्ट हो गए और 13 आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए। जांच में यह भी पता चला कि जिन घरों में आग लगाई गई, उनमें से ज़्यादातर घर दलित आदिवासी समुदाय के लोगों के थे। मामला आर्म्स एक्ट और एससी और एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था। 

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