गीत और संगीत से सराबोर रहा 'अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25' का पांचवा दिन

Edited By Ramanjot, Updated: 01 Mar, 2025 07:20 PM

the fifth day of  all india civil services music competition 2024 25

बिहार सचिवालय स्पोर्ट्स फाउंडेशन के तत्वावधान में केंद्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा बोर्ड, भारत सरकार के मार्गदर्शन में 'अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25' का आयोजन आज पांचवा दिन था।

पटना: बिहार सचिवालय स्पोर्ट्स फाउंडेशन के तत्वावधान में केंद्रीय सिविल सेवा सांस्कृतिक एवं क्रीड़ा बोर्ड, भारत सरकार के मार्गदर्शन में 'अखिल भारतीय असैनिक सेवा संगीत, नृत्य एवं लघु नाट्य प्रतियोगिता 2024-25' का आयोजन आज पांचवा दिन था। यह आयोजन उर्जा ऑडिटोरियम, राजवंशी नगर, पटना, बिहार में किया जा रहा है। शेड्यूल  के अनुसार कुल चार विधाओं में प्रतियोगिता  का आयोजन हुआ।

पहली विधा जिसमें प्रतियोगिता का आयोजन हुआ 'कर्नाटक क्लासिकल इंस्ट्रूमेंटल' था। इसमें कुल सात प्रतिभागी थे। समय सीमा 10 मिनट निर्धारित थी। इसी समय सीमा के भीतर प्रतिभागियों को मंच पर अपनी प्रस्तुति सम्पन्न करनी थी। कर्नाटक सचिवालय के प्रतिभागी कार्तिक भारद्वाज ने इस कैटेगरी में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

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दूसरी विधा जिसमें प्रतियोगिता हुई वह 'कर्नाटक लाइट क्लासिकल इंस्ट्रूमेंटल' था। इसमें पांच प्रतिभागी थे। पिछली प्रतियोगिता की तरह ही इसमें भी समय निर्धारित था जो कि पांच मिनट था।  इस विधा में भी एक पर एक प्रस्तुति सुनने और देखने को मिली। इस कैटेगरी में कर्नाटक सचिवालय के प्रतिभागी राघवेंद्र प्रसाद ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 

तीसरी विधा जिसमें प्रतियोगिता हुआ वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंटल' था। इसमें कुल नौ प्रतिभागी थे जिन्होंने अपनी प्रस्तुति बारी-बारी से मंच पर प्रस्तुत किया। इसमें भी पांच मिनट का समय निर्धारण था।  इस विधा में भी एक पर एक प्रस्तुति दर्शकों के समक्ष मंच पर प्रस्तुत की गई। इस कैटेगरी में छत्तीसगढ़ सचिवालय के भीखमचंद निर्मलकर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया । 

चौथी और अंतिम विधा जिसमें प्रतियोगिता का आयोजन हुआ वह 'वेस्टर्न वोकल' था। इसमें देश के अलग-अलग राज्यों के कुल नौ अधिकारियों ने हिस्सेदारी निभाई। इस कैटेगरी में दिल्ली की मोनिका मनचंदा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया

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अलग-अलग राज्यों के स्थानीय परिधान और वेशभूषा से अलंकृत कलाकार जब मंच पर अपनी प्रस्तुति देने को आए तो ऐसा लगा मानो बिहार की राजधानी पटना न होकर देश के अलग-अलग स्थानीय क्षेत्रों में पूरा हॉल तबदील हो गया है। एक साथ वेशभूषा,  गान, और क्षेत्रीय अनुभूति से जुड़े शब्द का स्वाद दर्शकों ने उठाया। तालियों की गड़गड़ाहट में कार्यक्रम की सफलता साफ परिलक्षित थी।

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