Edited By Ramanjot, Updated: 14 Jun, 2022 10:41 AM
इस द्विवार्षिक चुनाव के बाद उच्च सदन में राजद के सदस्यों की संख्या में तीन विधान पार्षदों (एमएलसी) की वृद्धि हुई है। पार्टी ने मोहम्मद कारी सुहैब (मुस्लिम), मुन्नी रजक (दलित महिला) और अशोक कुमार पांडे (ब्राह्मण) को प्रत्याशी बनाया था और साबित करने...
पटनाः बिहार विधान परिषद के लिए सोमवार को सात उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हुए। बिहार विधानसभा सचिवालय के अनुसार संबंधित उम्मीदवारों को जीत के प्रमाणपत्र दिए गए, उनमें से चार को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने और तीन को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने चुनाव मैदान में उतारा था।
इस द्विवार्षिक चुनाव के बाद उच्च सदन में राजद के सदस्यों की संख्या में तीन विधान पार्षदों (एमएलसी) की वृद्धि हुई है। पार्टी ने मोहम्मद कारी सुहैब (मुस्लिम), मुन्नी रजक (दलित महिला) और अशोक कुमार पांडे (ब्राह्मण) को प्रत्याशी बनाया था और साबित करने की कोशिश की थी कि वह समाज के सभी वर्गों का ख्याल रखती है। राजग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने काफी मशक्कत कर भाजपा को 50:50 के फार्मूले के लिए राजी किया था जबकि विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या जदयू से अधिक है।
जदयू ने अफाक अहमद और रवींद्र सिंह पर दांव खेला था, दोनों पार्टी में राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी है। पार्टी ने अपने प्रतिबद्ध मतदाताओं का मनोबल ऊंचा करने के प्रयास के तहत ऐसा किया था। इसके अलावा अहमद की उम्मीदवारी से यह संकेत गया कि भाजपा के बढ़ते दबदबे के बाद भी जदयू धर्मनिरपेक्षता के प्रति कटिबद्ध है। भाजपा ने जहानाबाद के अनिल शर्मा को उतारकर भूमिहारों को संतुष्ट करने का प्रयास किया जो हाल में पार्टी के प्रति कथित तौर पर उदासीन हो गए थे। पार्टी ने दूसरा उम्मीदवार हरि साहनी को बनाया था, साहनी निषाद समुदाय से आते हैं। निषाद समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग का एक बड़ा हिस्सा है जो कथित तौर पर मुकेश साहनी के अलग होने के कारण भाजपा से नाराज हो गया था।