विस चुनाव से ठीक पहले बिहार में गूंज रहा ‘25 से 30 फिर से नीतीश’ का नारा, सत्ता की दौड़ में सब पर भारी पड़ी है JDU

Edited By Ramanjot, Updated: 19 Sep, 2024 02:40 PM

before elections slogan of  25 se 30 fir se nitish  is echoing in bihar

विधानसभा चुनाव से पहले अब बिहार में एक नारा ‘25 से 30 फिर से नीतीश’ गूंज रहा है। ये नारे पटना की सड़कों पर दिखने लगे हैं। ‘25 से 30 फिर से नीतीश’ के इस नए नारे के कई राजनीतिक माएने निकाले जा रहे हैं। इस नारे से ये तय हो गया है कि अगले छह साल बिहार की...

पटना (विकास कुमार): बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होना तय है। ये एक सच्चाई है कि 2005 से बिहार की राजनीति की धुरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने हुए हैं। कभी-कभी गाड़ी के पहिए तो बदले गए हैं लेकिन इसकी कमान हमेशा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में ही रही है। 2005 से अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कई नारे गढ़े गए है। इन नारों को जनता से भी अपार समर्थन मिला है और यही वजह है कि बार-बार विरोधियों के सारे अनुमान को ध्वस्त कर नीतीश बाबू सत्ता के समीकरण को अपने पक्ष में करने में सफल हो जाते हैं।

विधानसभा चुनाव से पहले अब बिहार में एक नारा ‘25 से 30 फिर से नीतीश’ गूंज रहा है। ये नारे पटना की सड़कों पर दिखने लगे हैं। ‘25 से 30 फिर से नीतीश’ के इस नए नारे के कई राजनीतिक माएने निकाले जा रहे हैं। इस नारे से ये तय हो गया है कि अगले छह साल बिहार की राजनीति की कमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों में ही रहेगी। जेडीयू नेता की ओर से पटना की सड़कों पर एक नया पोस्टर लगाया गया है। इसमें बड़े आकार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो है। उसके बगल में लिखा है- ‘25 से 30, फिर से नीतीश’। इस पोस्टर को विधायक फ्लैट, जदयू कार्यालय और बेली रोड में लगाया गया है। युवा जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष रंजीत कुमार सिंह उर्फ संटू सिंह ने इस पोस्टर को लगवाया है। संटू सिंह का कहना है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विचारों से वे बहुत प्रभावित हैं। संटू सिंह का कहना है कि, ‘पूरे बिहार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जरूरत है। विकास की गति और बिहार को आगे बढ़ाने के लिए अभी भी नीतीश कुमार की जरूरत है। अब भाजपा के बड़े नेताओं ने भी मान लिया है कि 2025 का चुनाव नीतीश कुमार के ही नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा’। 

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इससे पहले लगा था 'टाइगर अभी जिंदा है' का नारा 
लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में पटना में पोस्टर लगाए गए थे। इस पोस्टर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ लिखा गया था, ‘टाइगर अभी जिंदा है’। इस पोस्टर की भी खूब चर्चा हुई थी। ये नारा वाकई में हकीकत के करीब निकला क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राष्ट्रीय राजनीति में किंग मेकर के तौर पर उभर कर सामने आए हैं। 

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‘क्यूं करें विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार’ का नारा भी खूब चला 
इन नारों से पहले भी कई ऐसे नारे लगाए गए हैं जो जनता की जुबान पर चढ़ गए हैं। ‘क्यूं करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार’ के नारे को भी जनता से पॉजिटिव रिस्पांस मिला। ठेठ बिहारी जुबान में तैयार इस नारे को बिहार के लोगों ने हाथों हाथ लिया। राजनीतिक हल्के में इस स्लोगन की व्याख्या अलग-अलग एंगल से की गई। जेडीयू के रणनीतिकारों का कहना है कि 2005 से बिहार ने विकास का नया पैमाना गढ़ा है और इसलिए आगे भी बिहार के विकास के लिए नीतीश बाबू की जरुरत बनी हुई है। 

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'हाटे बाजारे-नीतीशे कुमार' के नारे की भी हुई थी खूब चर्चा 
एक बार बिहार में 'हाटे बाजारे-नीतीशे कुमार' नारे को लॉन्च किया गया था। इस नारे को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनसंपर्क अभियान के लिए लॉन्च किया गया था। ये नारा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गढ़ा गया था। गठबंधन बदलने के बाद जिस तरह से लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने शानदार प्रदर्शन किया था इससे तय हो गया कि इस नारे में भी काफी दम था। 

‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है’ का नारा भी खूब चला
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर ‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है’ का नारा भी एक वक्त में खूब चला था। ये नारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेदाग छवि की कहानी कहता है। साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहज, सरल और सुलभ स्वभाव की भी बानगी इस नारे में झलकती है। 

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‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ का नारा भी चला 
मुख्यमंत्री को लेकर अगर सबसे ज्यादा किसी नारे की चर्चा हुई तो वह थी ‘बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है’ का नारा। दस साल पहले गढ़े गए इस नारे की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि अब भी बिहार के गांवों में लोग इसे बोलते नजर आते हैं। खासकर जब लोगों को सरकारी स्कूल में अच्छे शिक्षक पढ़ाते हुए नजर आते हैं तो इस नारे को लोग आपस में चर्चा के दौरान इस्तेमाल करते हैं। वहीं जब किसी बीमार आदमी को सरकारी अस्पताल में मुफ्त और बेहतर इलाज मिलता है तो भी उनके परिजन इस नारे को जरुर दोहराते हैं।

‘सच्चा है- अच्छा है चलो नीतीश के साथ’ का नारा भी खूब चला 
एक वक्त बिहार में ‘सच्चा है- अच्छा है चलो नीतीश के साथ’ का नारा भी खूब चला था। ये नारा बिहार के आम मेहनतकश लोगों में काफी लोकप्रिय हुआ था। 

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लोकसभा चुनाव के बाद बढ़ा नीतीश बाबू का कद 
लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीतिक शक्ति के शिखर पर हैं। इसी का नतीजा है कि अब बीजेपी के नेताओं ने भी अगले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व को स्वीकर कर लिया है। भारत में मोदी सरकार की स्थिरता के लिए जेडीयू न केवल जरुरी है बल्कि ये बीजेपी की मजबूरी भी है कि वह नीतीश बाबू को हमेशा खुश रखे। इस का अंदाजा इसी बात से हो जाता है कि झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने जेडीयू को एनडीए गठबंधन में शामिल कर लिया है। अगर यही स्थिति बनी रही तो उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ने के लिए जेडीयू को बीजेपी कुछ सीटें जरुर देगी। 

किरदार में हो दम तभी चलते हैं राजनीतिक नारे
वैसे तो हर राजनेता को लेकर नारे गढ़े जाते हैं, लेकिन नारे उन्हीं नेताओं के लोकप्रिय होते हैं जिनकी शख्सियत बेदाग और काम दमदार होता है। नीतीश बाबू के बारे में लगने वाले नारे इसलिए जनता की जुबान पर चढ़ जाते हैं क्योंकि बिहार को लालटेन के अंधेरे युग से निकाल कर वे प्रकाश के नए दौर में लाए हैं। 2005 से पहले राज्य में बेटियां कम उम्र में ब्याह दी जाती थी लेकिन अब बिहार की बेटियां हर क्षेत्र में सफलता का नया इतिहास गढ़ रही हैं। 2005 से पहले बिहार की सड़कों में गढ़्ढा था या गढ़्ढे में सड़क थी ये पता कर पाना मुश्किल था, लेकिन नीतीश बाबू ने बिहार के सड़कों की कायापलट कर दी है। गांव, कसबे, शहर और महानगर हर जगह अब चमचमाती सड़कें नजर आती है। साफ है कि नीतीश बाबू के कामकाज और दूरदर्शिता की वजह से लोगों को उनके लिए लगाए जाने वाले नारों पर यकीन होता है। अगर नीतीश बाबू के किरदार में दम न होता तो शायद ये नारे असफल ही साबित होते, लेकिन आधुनिक बिहार के निर्माता के तौर पर बनी इस छवि ने नीतीश बाबू को लेकर लगे सभी नारों की सार्थकता बढ़ा दी है।

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