Chhath Puja Samagri List: क्या रखना जरूरी है पूजा की थाली में? जानें हर वस्तु का महत्व

Edited By Ramanjot, Updated: 23 Oct, 2025 12:15 PM

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छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक अत्यंत पवित्र पर्व है। यह पर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में भव्यता के साथ मनाया जाता है।

Chhath Puja 2025 Date:छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित एक अत्यंत पवित्र पर्व है। यह पर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में भव्यता के साथ मनाया जाता है। छठ व्रत करने वाली महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला उपवास (Nirjala Vrat) रखती हैं और सूर्यदेव से संतान, सुख-समृद्धि और पारिवारिक कल्याण की प्रार्थना करती हैं।

छठ पूजा 2025 की तिथियां (Chhath Puja 2025 Date & Time)

  • पंचांग के अनुसार, साल 2025 में छठ पूजा की शुरुआत 25 अक्टूबर (शनिवार) को नहाय-खाय (Nahay Khay) से होगी।
  • 26 अक्टूबर (रविवार) – खरना (Kharna)
  • 27 अक्टूबर (सोमवार) – डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य (Sandhya Arghya)
  • 28 अक्टूबर (मंगलवार) – उगते सूर्य को दूसरा अर्घ्य (Usha Arghya)

छठ पूजा की थाली में क्या-क्या रखें? (Chhath Puja Thali Items List)

छठ पूजा की थाली को बेहद पवित्र माना जाता है। हर वस्तु का इसमें विशेष धार्मिक महत्व होता है।

  • 1. ठेकुआ (Thekua)
  • यह छठ पूजा का सबसे जरूरी प्रसाद है। इसे गेहूं के आटे, गुड़ और घी से बनाया जाता है और सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है।
  • 2. मौसमी फल
  • केला, नारियल, गन्ना, अमरूद, नींबू, शक्करकंद और सेब शुभ माने जाते हैं।
  • 3. दीपक और अगरबत्ती
  • दीपक सूर्यदेव की आराधना का प्रतीक है, जबकि अगरबत्ती वातावरण को पवित्र बनाती है।
  • 4. करवा और सुप (Bamboo Sup or Basket)

इनमें अर्घ्य की वस्तुएं रखी जाती हैं। करवा में जल और दूध भरकर सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है।

छठ पूजा के चार दिन की विधि (Chhath Puja 4 Days Rituals)

पहला दिन – नहाय खाय (25 अक्टूबर)

महिलाएं स्नान कर घर की शुद्धि करती हैं और लौकी-चना दाल का प्रसाद ग्रहण करती हैं।

दूसरा दिन – खरना (26 अक्टूबर)

व्रती दिनभर उपवास रखती हैं और शाम को गुड़ की खीर और रोटी खाकर व्रत की शुरुआत करती हैं।

तीसरा दिन – पहला अर्घ्य (27 अक्टूबर)

डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। महिलाएं नदी, तालाब या घाट में खड़ी होकर सूर्यदेव की पूजा करती हैं।

चौथा दिन – दूसरा अर्घ्य (28 अक्टूबर)

उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है। इसके बाद परिवार के साथ प्रसाद ग्रहण किया जाता है।

छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Importance)

छठ पूजा केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आस्था, अनुशासन और पर्यावरण से जुड़ा त्योहार है। यह सूर्य की उपासना के माध्यम से ऊर्जा, आत्मशुद्धि और परिवार के कल्याण का प्रतीक है। बिहार की मिट्टी में यह पर्व संस्कृति की खुशबू और श्रद्धा का अद्भुत संगम माना जाता है।

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