Edited By Swati Sharma, Updated: 20 Feb, 2023 10:43 AM

बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन ने बताया कि एशियाई राइनो रेंज देशों की बैठक में एक सींग वाले गैंडों की आबादी को 3 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया। 5 राइनो रेंज देश भारत, भूटान, इंडोनेशिया, मलेशिया और नेपाल ने एशियाई गैंडों के संरक्षण 2023 के...
पटना: 3 फरवरी से 5 फरवरी तक चितवन (नेपाल) में आयोजित तीसरी एशियाई राइनो रेंज देशों की बैठक में एक सींग वाले गैंडों की आबादी को 3 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया। चितवन में लिए गए फैसलों को बिहार में भी लागू किया जाएगा। वहीं बिहार सरकार ने अगले 2 वर्षों में पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में गैंडों के आवास क्षेत्र में पांच 5 प्रतिशत वृद्धि करने का फैसला भी किया हैं।
एशियाई राइनो रेंज देशों की बैठक में लिया गया फैसला
बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन ने बताया कि एशियाई राइनो रेंज देशों की बैठक में एक सींग वाले गैंडों की आबादी को 3 प्रतिशत तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया गया। 5 राइनो रेंज देश भारत, भूटान, इंडोनेशिया, मलेशिया और नेपाल ने एशियाई गैंडों के संरक्षण 2023 के लिए चितवन घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और एक सींग वाले गैंडों, जावाई और सुमात्राई गैंडों की आबादी में कम से कम तीन प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर हासिल करने के इरादे से उनकी आबादी के प्रबंधन पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि राज्य में एक सींग वाले गैंडों की आबादी बढ़ाने के इरादे से चितवन में लिए गए फैसलों को बिहार में भी लागू किया जाएगा। वीटीआर को राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति के तहत संभावित स्थलों में से एक के रूप में चुना गया है।
"2006 से 2013 के बीच रेल हादसों में 2 मादा गैंडों की हुई मौत"
वार्डन ने बताया कि वीटीआर में सुरक्षा और आवास की स्थिति के आकलन के लिए और अभयारण्य में गैंडों को बसाने की योजना को फिर से शुरू करने के उपायों पर सुझाव देने के लिए जनवरी 2020 में एक सुरक्षा और आवास आकलन समिति का गठन किया गया था।'' उन्होंने कहा कि वीटीआर में योजना को फिर से शुरू करने के लिए संभावित रूप से पहचाने गए क्षेत्र गनौली और मदनपुर हैं। बिहार सरकार का पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग भी राज्य में एक गैंडा कार्यबल गठित करने की तैयारी कर रहा है। गुप्ता ने कहा कि 2001-2002 के बाद से वीटीआर की सीमा के पार लगभग 15 गैंडों की आवाजाही की सूचना मिली है। 2006 से 2013 के बीच रेल हादसों में दो मादा गैंडों की मौत हो गई और इस वजह से उनकी आबादी आगे नहीं बढ़ सकी।