Parliament Winter Session 2025: प्रधानमंत्री मोदी का विपक्ष को साफ संदेश, कहा- सदन में ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए

Edited By Ramanjot, Updated: 03 Dec, 2025 05:18 PM

parliament winter session 2025

संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू हो गया है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा।

Parliament Winter Session 2025: संसद का शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर 2025 से शुरू हो गया है, जो 19 दिसंबर तक चलेगा। सत्र की शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को सीधा लेकिन साफ संदेश दिया 'यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। नारे नहीं, नीति पर बात होनी चाहिए और वो आपकी नीयत में दिखनी चाहिए।' उनका साफ कहना था कि संसद को देश के विकास और नीतिगत मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी और हंगामे पर।

सत्र शुरू हुआ और वही हुआ जो विपक्ष की आदत बन गई है। लोकसभा में एसआईआर को लेकर खूब बवाल हुआ। सदन एक दिन के स्थगित कर दी गई, अब आशंका है कि विपक्ष संसद में व्यवधान खड़ा करेगा, क्योंकि विपक्ष अपनी पुरानी परिपाटी पर चल रहा है। पिछला सत्र में जिस तरीके से एसआईआर का एक मुद्दा लेकर पूरा सदन वॉशआउट कर दिया गया था। उसी तरह का असार इस सत्र में भी देखने को मिल रहा है।

संसद में हंगामा और कार्यवाही रुकना दुनिया भर की सांसदों में यह होता है, लेकिन लगातार संसद में गतिरोध पैदा करना और पहले बैठकों में सहमति बनाने के बाद भी समस्याएं पैदा करना भारत के विपक्ष का आचरण बन गया है। विपक्ष का ये पैटर्न बहुत पुराना है। सर्वदलीय बैठक में सहयोग की बात कहने के बाद भी विपक्ष संसद की कार्यवाही को बर्बाद करने की पटकथा पहले ही लिख चुका होता है।

 विपक्ष ने पिछले मॉनसून सत्र में बिहार में चुनाव आयोग की प्रक्रिया और ऑपरेशन सिंदूर व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान को मुद्दा बनाकर गतिरोध जारी रखा था। जुलाई-अगस्त 2024 के मॉनसून सत्र में लोकसभा सिर्फ 29% और राज्यसभा मात्र 34% समय ही चल सकी। 2024 के ही शीतकालीन सत्र में उत्पादकता गिरकर लोकसभा 52% और राज्यसभा 39% रह गई। 18वीं लोकसभा के मॉनसून सत्र में कुल 419 सवाल शामिल किए गए थे, लेकिन लगातार विपक्ष के हंगामे के बीच सिर्फ 55 सवालों का ही जवाब दिया जा सका।

बजट सत्र 2023 को बर्बाद करने के लिए कॉन्ग्रेस और विपक्ष ने अडानी के खिलाफ हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा प्रकाशित हिट जॉब वाली रिपोर्ट मुद्दा उठाया था और पूरा सत्र बर्बाद कर दिया था। 2023 के ही शीत सत्र के पहले एप्पल फोन की नोटिफिकेशन पर विपक्ष ने बवाल मचाया था। एप्पल की सफाई ने विपक्ष की उम्मीदों पर पानी फेर दिया था।

2021 में मॉनसून सत्र के पहले पेगासस की स्टोरी को लेकर बवाल मचाया गया था और दावा किया गया था कि सरकार सूपिंग में लिप्त है। यह कहानी बाद में झूठी निकली लेकिन संसद का सत्र बर्बाद हो गया।

2021 में राहुल गांधी ने राफेल विमान खरीद में घोटाले का कथित मामला उठाया। यह विदेशी मीडिया में कुछ रिपोर्ट्स आने के बाद उठाया गया था। इसको लेकर 2021 में संसद के सत्र हंगामे भरे रहे। राफेल मामले में हवा-हवाई दावे संसद से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक नहीं टिक पाए, लेकिन संसद का समय बर्बाद होता गया।

एक अनुमान के मुताबिक संसद का एक मिनट चलाने पर भी ₹2.5 लाख का खर्च होता है। इसमें सांसदों की तनख्वाह, बिजली-पानी के बिल समेत बाकी खर्च शामिल होते हैं। ₹2.5 लाख खर्च आज भी प्रति मिनट माना जाए, तो इस शीतकालीन सत्र पर सैकड़ों करोड़ खर्च होने वाले हैं, जो जनता के पैसे हैं।

विपक्ष ने लगातार ड्रामा किया तो मोदी सरकार ने इतने व्यवधानों के बावजूद डिलिवरी पर ध्यान दिया है। मोदी सरकार के 11 सालों में संसद में कई बदलाव हुए हैं। रेल बजट और आम बजट को मिला दिया गया। नया संसद भवन बना और 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023' पारित हुआ। सरकार ने कई पुराने कानूनों को भी हटाया है। संसद को कागज रहित बनाने पर जोर दिया जा रहा है।

मोदी सरकार ने अब तक 421 बिल पास किए हैं तो वहीं अब तक कुल 1576 पुराने और निरर्थक कानूनों को निरस्त किया गया।

19 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लेजिस्लेटिव कार्यों के कुल 13 बिल लिस्टेड हैं, जिन्हें सेशन के दौरान पास होने के लिए लाए जाने की उम्मीद है। ये बिल हैं- परमाणु ऊर्जा बिल, उच्च शिक्षा आयोग, राष्ट्रीय राजमार्ग (संशोधन) बिल, कारपोरेट नियम (संशोधन) बिल, सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल, मणिपुर GST (संशोधन) बिल, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) बिल, रिपीलिंग एंड अमेंडमेंट बिल, आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सीलिएशन बिल, बीमा नियम (संशोधन) बिल, केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) बिल, हेल्थ सिक्योरिटी एंड नेशनल सिक्योरिटी सेस बिल, जन विश्वास (संशोधन) बिल।

लोकतंत्र में विपक्ष की असली ताकत उसकी रचनात्मकता, तर्क, और जनता की वास्तविक आवाज़ उठाने की क्षमता में होती है। लेकिन जब हर मुद्दे पर हंगामा किया जाए, हर चर्चा को शोर में बदल दिया जाए, और हर सत्र को लड़ाई का मैदान बना दिया जाए, तो यह लोकतांत्रिक संस्कृति को कमजोर करता है। विपक्ष का काम सरकार को जवाबदेह बनाना है, न कि सदन को बंधक बनाना।

विपक्ष ने संसद को रंगमंच बना दिया है और ढेर सारे किरदारों को इसमें उतार देती है। संसद में ड्रामा, हंगामा खूब होता है, लेकिन जिस काम के लिए संसद की बैठक बुलाई जाती है, देशहित के लिए वही काम नहीं हो पा रहा है। यहां देश के लिए नीति बनाने के लिए और अपने क्षेत्र की आवाज को उठाने के लिए जनप्रतिनिधि चुनकर आते हैं,, लेकिन चर्चा की जगह भारत का विपक्ष क्या कर रहा है सिर्फ ड्रामा ताकि संसद में देशहित के लिए कोई काम न किया जा सके। अब संसद का प्रत्येक सत्र हंगामे के लिए जाना जाता है, इसलिए संसद को चलाने के कुछ नए तौर-तरीके अपनाने चाहिए।

-श्लोक ठाकुर, पत्रकार

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!