Edited By Diksha kanojia, Updated: 11 May, 2021 07:57 PM
दरसअल इस विकट घड़ी में कोरोना से मृत शरीर को अपनो ने अपनो का साथ छोड़ दिया है। तो वही बाबू भाई हर दिन करीब 50 से 70 हिन्दू शवों का अंतिम संस्कार कर रहे है। राजधानी रांची के घाघरा पूल के पास शमशान घाट में हर दिन कोरोना से मृत महिला पुरुषों का 50 से 70...
रांचीः एक ओर जहां कुछ असामाजिक तत्व तरह-तरह की अफवाहें फैलाकर धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का प्रयास करते हैं, वहीं रांची के 40 वर्षीय बाबू भाई गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। बाबू भाई रमजान में रोजा रखकर मानवता को प्रेम एवं भाईचारे का संदेश दे रहे हैं।
दरसअल इस विकट घड़ी में कोरोना से मृत शरीर को अपनो ने अपनो का साथ छोड़ दिया है। तो वही बाबू भाई हर दिन करीब 50 से 70 हिन्दू शवों का अंतिम संस्कार कर रहे है। राजधानी रांची के घाघरा पूल के पास शमशान घाट में हर दिन कोरोना से मृत महिला पुरुषों का 50 से 70 शव पहुच रहे। जिसके अंतिम संस्कार की काम क्रिया में अपनी भागीदारी निभा रहे है।
यही नही अभी रमजान के पवित्र माह चल रहा है ऐसे में बाबू भाई दोनों धर्म का निर्वाह सलीके से कर रहे है।बाबू भाई कहते है कि वे सिर्फ भारतीय हैं न कि हिन्दू मुसलमान, वे सिर्फ मानव धर्म का निर्वाह कर रहे हैं। उनको किसी की परवाह नही