Edited By Ramanjot, Updated: 30 Nov, 2024 02:24 PM
यदि आपके पास फेसबुक, इंस्टाग्राम, X (पूर्व में ट्विटर) या यूट्यूब पर कम से कम 1,00,000 फॉलोअर्स हैं, या यदि आप एक वेब मीडिया प्लेटफार्म या मोबाइल एप्लिकेशन संचालित करते हैं जिसमें कम से कम 50,000 यूनिक मासिक उपयोगकर्ता हैं, तो आप इस नीति के तहत...
पटना (विकास कुमार): नीतीश सरकार (Nitish Government) ने बिहार विज्ञापन नियमावली-2016 के तहत सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन माध्यमों को भी सूचीबद्ध करने का बड़ा फैसला लिया है। बिहार सरकार इस नीति के जरिए फेसबुक, यूट्यूब, एक्स और इंस्टाग्राम चैनलों को भी मापदंड पर खरा उतरने के बाद विज्ञापन जारी करेगी। वहीं इस नीति के द्वारा ही ऑनलाइन मीडिया (वेब मीडिया जैसे- वेबसाइट, न्यूज पोर्टल, न्यूज मोबाईल एप) को भी विज्ञापन देने के लिए मंत्रालय सूचीबद्ध करेगी।
सोशल मीडिया के जरिए जन-जन तक पहुंचेगी सरकारी नीतियां
इस नीति का उद्देश्य सोशल मीडिया और अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों के बढ़ते प्रभाव का जनहित के लिए उपयोग करना है। पिछले एक दशक में सोशल मीडिया का प्रभात बहुत तेजी से बढ़ा है, इसलिए जनता के बीच सरकार की नीतियों को व्यापक तौर पर पहुंचाने के लिए इस माध्यम के इस्तेमाल का बड़ा फैसला लिया गया है। अब बिहार में सोशल मीडिया के जरिए भी आम जनता को राज्य सरकार की नीतियों, कल्याण कार्यक्रमों और उपलब्धियों के बारे में सूचित किया जा सकेगा।
इम्पैनलमेंट के लिए पात्रता की शर्त क्या है?
यदि आपके पास फेसबुक, इंस्टाग्राम, X (पूर्व में ट्विटर) या यूट्यूब पर कम से कम 1,00,000 फॉलोअर्स हैं, या यदि आप एक वेब मीडिया प्लेटफार्म या मोबाइल एप्लिकेशन संचालित करते हैं जिसमें कम से कम 50,000 यूनिक मासिक उपयोगकर्ता हैं, तो आप इस नीति के तहत इम्पैनलमेंट के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
इम्पैनलमेंट के लिए क्या है पात्रता का मानदंड?
*संबंधित मीडिया संस्थान को आवेदन की तारीख से कम से कम 1 वर्ष पहले अस्तित्व में होना चाहिए।
*संबंधित मीडिया के पास शूटिंग या कंटेंट क्रिएशन के लिए सभी आवश्यक उपकरण होने चाहिए।
*पात्रता को वेब मीडिया के लिए मासिक औसत यूनिक उपयोगकर्ताओं और सोशल मीडिया के लिए सब्सक्राइबर्स/फॉलोअर्स के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
यूनिक उपयोगकर्ताओं के लिए 6 महीने का औसत आधार के रूप में माना जाएगा। सूचना और जनसंपर्क विभाग किसी भी वेबसाइट के यूनिक उपयोगकर्ता डेटा की प्रामाणिकता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य और विश्वसनीय थर्ड पार्टी के माध्यम से सत्यापित करेगा। इसके लिए उन टूल्स का उपयोग किया जाएगा जो भारत में वेबसाइट ट्रैफिक की निगरानी करते हैं (जैसे गूगल एनालिटिक्स और कॉमस्कोर आदि)। केवल वही वेब मीडिया कंपनियां जो भारतीय क्षेत्र से संचालन कर रही हैं, उन्हें लिस्टिंग के लिए पात्र माना जाएगा, हालांकि वेब मीडिया जो विदेशी कंपनियों द्वारा स्वामित्व में हैं और जिनका वेबसाइट/मोबाइल एप्लिकेशन कार्यालय भारत में पंजीकृत है, वे भी इम्पैनलमेंट के लिए पात्र होंगे। CBC (पूर्व में DAVP) के साथ इम्पैनल्ड वेब मीडिया एजेंसियां DAVP दरों पर भुगतान के पात्र होंगी। वेब मीडिया एजेंसियां जो DAVP द्वारा परिभाषित श्रेणियों में नहीं आती हैं, उन्हें सक्षम समिति द्वारा निर्धारित दरों पर भुगतान किया जाएगा।
इम्पैनलमेंट के लिए आवश्यक दस्तावेज की सूची-
*मीडिया के नाम और पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज।
*संगठन/कंपनी का GST प्रमाणपत्र (अंतिम 01 वर्ष के नवीनतम रिटर्न के साथ) या ऑपरेटर का ITR (अंतिम 01 वर्ष के लिए) यदि मीडिया व्यक्तिगत स्तर पर चलाया जा रहा है।
*मीडिया संगठन या संगठन के प्रमुख का पैन कार्ड की फोटोकॉपी (कंपनी, संगठन, फर्म या व्यक्तिगत मामले में, यदि मीडिया व्यक्तिगत स्तर पर चलाया जा रहा है)।
*संगठन/व्यक्ति के बैंक खाता विवरण।
*संगठन/ऑपरेटर के अधिकृत व्यक्ति का आधार कार्ड की फोटोकॉपी (व्यक्तिगत स्तर पर संचालित मीडिया के मामले में)।
*संबंधित मीडिया के अधिकृत व्यक्ति का संपर्क विवरण।
*वेब मीडिया के लिए 6 महीने का औसत मासिक उपयोगकर्ता गणना का आधार माना जाएगा। वेब मीडिया को पिछले 6 महीनों का औसत मासिक उपयोगकर्ता रिपोर्ट वेबसाइट ऑडिटर (टूल या सॉफ़्टवेयर) द्वारा प्रमाणित करना होगा। सोशल मीडिया के लिए पिछले 6 महीनों का एनालिटिक्स रिपोर्ट आवेदन के साथ प्रस्तुत करना होगा।
इम्पैनलमेंट के लिए आवेदन के साथ संलग्न किए जाने वाले कागजात
सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने विज्ञापन के लिए इम्पैनलमेंट होने की शर्त निर्धारित की है। विज्ञापन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज सोशल मीडिया संस्थान/व्यक्ति को आवेदन के साथ संलग्न करना होगा-
i. आवेदन की तिथि से कम से कम एक वर्ष पूर्व से अस्तित्व में होने का प्रमाण।
ii. मीडिया के नाम और पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज, (यदि सोशल मीडिया फर्म के नाम से संचालित हो)।
iii. संस्था/ कंपनी का जीएसटी प्रमाण पत्र (विगत 1 वर्ष के अद्यतन रिटर्न सहित) अथवा व्यक्तिगत स्तर पर संचालित मीडिया के लिए संचालक के आयकर रिटर्न का प्रमाण पत्र (विगत 1 साल का)।
iv. मीडिया संस्था अथवा संचालक के PAN कार्ड की छायाप्रति।
v. संस्था अथवा व्यक्ति के बैंक खाते का विवरण।
vi. संस्था के अधिकृत व्यक्ति / व्यक्तिगत स्तर पर संचालित मीडिया के संचालक का आधार कार्ड की छायाप्रति।
vii. संबंधित मीडिया के अधिकृत व्यक्ति का संपर्क विवरण।
viii. यूनिक यूजर की गणना हेतु 6 महीने के औसत को आधार माना जाएगा। वेब मीडिया को वेबसाइट ऑडिटर (टूल या सॉफ्टवेयर) द्वारा प्रमाणित विगत 6 माह के औसत मासिक यूजर काउंट की रिपोर्ट सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग में जमा करानी होगी।
ix. सोशल मीडिया की सूचीबद्धता हेतु आवेदन के समय पिछले 6 माह की एनालिटिक्स रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
सूचीबद्धता हेतु मीडिया को निर्धारित प्रपत्र में आवेदन करना होगा, जिसके साथ संबंधित वेब मीडिया के लिए एवरेज यूनिक यूजर प्रति माह तथा सोशल मीडिया के लिए सब्सक्राइबर/फॉलोअर्स आदि का प्रमाण पत्र संलग्न किया जाना अनिवार्य होगा।
इसके लिए कार्यपालक दंडाधिकारी के समक्ष लिया गया शपथ जिसमें निम्नलिखित बातें अंकित रहेंगी :-
*आवेदक/संस्था के ऊपर किसी भी प्रकार के आपराधिक, राष्ट्र विरोधी, समाज विरोधी, अनैतिक गतिविधियों, गंभीर अपराधों से संबंधित किसी भी थाने में मामले दर्ज नहीं हैं।
* वेब मीडिया अथवा सोशल मीडिया अकाउंट का पूरा स्वामित्व आवेदक का है।
* आवेदक द्वारा प्रस्तुत की गई सभी जानकारियां सही हैं तथा आवेदन के साथ दिए गए दस्तावेज सही और प्रामाणिक हैं। यदि प्रस्तुत की गई जानकारी भविष्य में गलत पाई जाती है तो संबंधित मीडिया की सूचीबद्धता रद्द कर दी जाएगी तथा सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा अन्य वैधानिक कार्रवाई की जा सकेगी।
xii. सभी दस्तावेज स्व अभिप्रमाणित होने चाहिए।
जान लें क्या है आवेदन की प्रक्रिया ?
1. विस्तृत जानकारी, बिहार सोशल मीडिया एवं अन्य ऑनलाइन मीडिया नियमावली-2024, आवेदन का प्रपत्र, Frequently Asked Questions (FAQ) तथा भरे हुए आवेदन प्रपत्र का नमूना विभागीय वेबसाईट state.bihar.gov.in/prdbihar पर उपलब्ध है।
2. आवेदक उक्त वेबसाइट पर दिए गए लिंक के माध्यम से ऑनलाइन प्रपत्र में आवश्यक जानकारी भर सकेंगे।
अब बिहार सरकार सोशल मीडिया के जरिए जन कल्याण की योजनाओं को गांव गली तक पहुंचाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी है। इस नीति से उन सोशल मीडिया संस्थानों को भी मदद मिलेगी जो लगातार बिहार से जुड़ी सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक सरोकार की खबरों को प्रमुखता से उठाते रहे हैं।