बिहार विधानसभा में पुलिस की कार्रवाई के मुद्दे पर हुई तीखी बहस

Edited By Nitika, Updated: 29 Jul, 2021 08:56 AM

a heated debate on the issue of police action

बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान अभूतपूर्व हंगामा होने के बाद पुलिस द्वारा विपक्षी दलों के कुछ विधायकों को बाहर निकालने के मुद्दे पर बुधवार को सदन में तीखी बहस हुई।

पटनाः बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान अभूतपूर्व हंगामा होने के बाद पुलिस द्वारा विपक्षी दलों के कुछ विधायकों को बाहर निकालने के मुद्दे पर बुधवार को सदन में तीखी बहस हुई।

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा द्वारा बुलाई गई कार्यमंत्रणा समिति की एक बैठक के बाद इस मुद्दे पर चर्चा करने का निर्णय लिया गया। उक्त घटना के दिन सिन्हा को विपक्ष के विधायकों ने उनके कक्ष में बंधक बना लिया था जिसके बाद पुलिस को बुलाना पड़ा था क्योंकि मार्शलों से स्थिति नियंत्रण में नहीं आ रही थी। विपक्ष ने कहा था कि यदि इस मुद्दे पर चर्चा नहीं की गई तो वे मॉनसून के बाकी सत्र का बहिष्कार कर देंगे, जिसके बाद बहस का निर्णय लिया गया। बिहार विधानसभा का सत्र 26 जुलाई को शुरू हुआ था और 30 जुलाई को इसका समापन होगा। विपक्ष ने 23 मार्च को हुई घटना को “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया और शाम चार बजे इस पर बहस शुरू हुई जो सदन की कार्यवाही समाप्त होने तक एक घंटे से ज्यादा समय तक चली।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आक्रोश में थे और उन्होंने पुलिस के हाथों विधायकों के साथ हुई कथित बदसलूकी के लिए नीतीश कुमार की सरकार को जिम्मेदार ठहराया। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी ने कहा, “हमें बताया गया कि घटना के संबंध में दो कांस्टेबलों को निलंबित किया गया है। क्या ऊपर से आदेश मिले बगैर सदन के भीतर एक विधायक को एक कांस्टेबल हाथ लगा सकता है? मैं उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग करता हूं जिनके इशारे पर हमारे साथी सदस्यों को लात से मारा गया और महिलाओं को बाल और साड़ी पकड़ कर घसीटा गया।” उन्होंने कहा, “हो सकता है कि कुछ विधायकों ने बदसलूकी की हो, मुझे बताया गया है कि आपने उनके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए एक समिति का गठन किया है। अगर सजा देना जरूरी है तो मैं प्रस्तुत हूं। मेरे साथी सदस्यों के विरुद्ध जो भी कार्रवाई करनी है, उनकी तरफ से मैं प्रस्तुत हूं आप मेरे खिलाफ कार्रवाई कीजिये।”

तेजस्वी ने दावा किया कि वह विधायकों के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं जिस पर निरंकुश नौकरशाही द्वारा हमला किया जा रहा है। विपक्ष के विधायक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जवाब देने की मांग कर रहे थे लेकिन सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि वह खुद भी सदन के अध्यक्ष रह चुके हैं इसलिए उन्हें पता है कि अध्यक्ष के पास कौन सी शक्तियां और जिम्मेदारियां होती हैं। उन्होंने कहा कि “सदन के भीतर जो कुछ भी होता है उसमें सरकार का कोई हाथ नही होता है।” पुलिस को बुलाने के निर्णय का बचाव करते हुए चौधरी ने कहा कि उन्हें भी सिन्हा के साथ उनके कक्ष में “बंधक बनाया गया था” इसलिए उन्हें स्थिति की गंभीरता का अंदाजा था। मंत्री ने तेजस्वी के उस बयान पर भी चुटकी ली जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अन्य विधायकों की तरफ से सजा भुगतने के लिए तैयार हैं।

चौधरी ने कहा, “क्या यह नियमों के तहत संभव है? यह अलग बात है कि जोश में आकर नेता प्रतिपक्ष यह कह गए कि नियमों को ताक पर रख दिया जाए (अगर यह नियम सदस्यों के सम्मान की रक्षा नहीं कर सकते।)” चौधरी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं सोच रहा हूं कि इतनी बेचैनी क्यों है। ऐसा लगता है कि विपक्ष उनके नेतृत्व में एक है।” अपने समापन संबोधन में अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने उर्दू का एक शेर पढ़ा और इसके जरिये अपना आक्रोश व्यक्त किया तथा इस पर जोर दिया कि उन्होंने खुद को सदन का संरक्षक समझा था।

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!