यशवंत सिन्हा का आरोप- देश में प्रजातंत्र केवल खतरे में ही नहीं बल्कि समाप्त हो गया है

Edited By Nitika, Updated: 16 Jul, 2022 05:32 PM

accuses of yashwant sinha

राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने असंसदीय शब्दों की एक नयी सूची और संसद भवन परिसर के भीतर प्रदर्शनों पर रोक लगाए जाने का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘देश में प्रजातंत्र केवल खतरे में ही नहीं, बल्कि समाप्त हो गया...

 

पटनाः राष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने असंसदीय शब्दों की एक नयी सूची और संसद भवन परिसर के भीतर प्रदर्शनों पर रोक लगाए जाने का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि ‘‘देश में प्रजातंत्र केवल खतरे में ही नहीं, बल्कि समाप्त हो गया है।'' उन्होंने कहा कि अगर देश की जनता नहीं जागी, तो इससे भी भयंकर स्थिति लोगों को देखने को मिल सकती है।

राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर प्रचार करने पटना आए सिन्हा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए खेद व्यक्त किया कि वर्तमान शासन के तहत लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली ‘‘पंगू'' दिखती है। उन्होंने साथ ही जनता से बहुत देर हो जाने से पहले ‘‘जागने'' का आग्रह किया। कई बार सांसद रह चुके सिन्हा ने कहा, ‘‘हर लोकतांत्रिक व्यवस्था में सीधे निर्वाचित प्रतिनिधियों की सभा खुली बहस की अनुमति देती है। यही कारण है कि संसद के भीतर बोले गए शब्द न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर हो जाते हैं।'' उन्होंने कहा कि सरकार की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल किए जा सकने वाले सभी प्रकार के शब्दों को असंसदीय करार दिया जा रहा है, इसे हम देश के लोकशाही पर एक और हमले के तौर पर देख रहे हैं।

नौकरशाह से राजनेता बने सिन्हा जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश और वित्त जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों को संभाला था, ने उस आदेश पर भी नाराजगी व्यक्त की, जिसमें सांसदों को महात्मा गांधी की विशाल प्रतिमा के सामने प्रदर्शन करने से मना किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली फर्श पर और साथ ही बाहर और विभिन्न समितियों में बहस और चर्चा के बारे में है। लेकिन लगता है देश और संविधान गलत हाथों में चला गया है। बड़े पैमाने पर प्रत्येक दिन लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं। यह इतना पंगू कभी नहीं दिखा।'' सिन्हा जो तीन दशक पहले राजनीति में आने से पहले तक बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी थे, ने ‘अग्निपथ' विवाद का भी उल्लेख किया, जिसने राज्य को हिंसक विरोध के बीच छोड़ दिया था। उन्होंने कहा, ‘‘हर देश में एक सैन्य सेवा होती है और एक राष्ट्रीय सेवा होती है, जो युवाओं को तदर्थ आधार पर सेवा करने का अवसर प्रदान करती है। ‘अग्निपथ' किसी भी श्रेणी में नहीं आता। ‘अग्निवीर' चार साल की सेवा पूरी करने के बाद ‘‘सड़क वीर'' होंगे और इसके कारण होने वाली सामाजिक अशांति की हम कल्पना नहीं कर सकते।''

सिन्हा ने स्वीकार किया कि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के पास कई शक्तियां नहीं हैं, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि इस पद पर आसीन एक सही व्यक्ति प्रधानमंत्री को बुला सकता है और उन्हें विभिन्न मुद्दों पर सलाह दे सकता है। पूर्व भाजपा नेता जिन्होंने पार्टी के साथ अपने रिश्ते खत्म कर लिए हैं, ने कहा, ‘‘समस्या यह है कि ऐसा कोई तंत्र नहीं है, जो मौजूदा शासन की लापरवाही पर लगाम लगा सके।''
 

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