निवेशकों की पहली पसंद बना बिहार: मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत से सीधी मुलाकात में रखे गए करोड़ों के प्रस्ताव

Edited By Ramanjot, Updated: 11 Dec, 2025 08:03 PM

bihar investment policy

बिहार को औद्योगिक क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान दिलाने की दूरदर्शी पहल के तहत, मुख्य सचिव, बिहार, प्रत्यय अमृत द्वारा पिछले सप्ताह शुरू की गई 'उद्योग वार्ता' ने दूसरे दिन भी निवेशकों के बीच भारी उत्साह देखा।

पटना: बिहार को औद्योगिक क्षेत्र में एक प्रमुख स्थान दिलाने की दूरदर्शी पहल के तहत, मुख्य सचिव, बिहार, प्रत्यय अमृत द्वारा पिछले सप्ताह शुरू की गई 'उद्योग वार्ता' ने दूसरे दिन भी निवेशकों के बीच भारी उत्साह देखा। आज, गुरुवार को उद्योग जगत से जुड़े 32 लोगों ने सीधे मुख्य सचिव से मुलाकात की और बिहार में उद्योग स्थापित करने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की। यह बैठक पटना एयरपोर्ट के समीप स्थित वायुयान संगठन निदेशालय, बिहार में सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक आयोजित की गई। किसी कारणवश केवल अगले सप्ताह वाला “उद्योग वार्ता” गुरुवार की जगह शुक्रवार (दिनांक- 19-12-2025)को की जाएगी। 

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यह पहल निवेशकों को उच्च-स्तरीय सरकारी अधिकारियों से सीधे जोड़कर उनकी समस्याओं के त्वरित समाधान और निवेश प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए बिहार सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

'उद्योग वार्ता' का यह दूसरा दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा क्योंकि इसमें बिहारी निवेशकों की संख्या अधिक थी, जिनका मुख्य उद्देश्य अपने गृह राज्य के विकास में योगदान देना, पलायन की समस्या को दूर करना और 'बिहार वापसी' को संभव बनाना था। इन उद्यमियों का मानना है कि बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और यदि उद्योगों की संख्या बढ़ती है, तो युवाओं के लिए रोज़गार के व्यापक अवसर सृजित होंगे।

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प्रमुख निवेश प्रस्तावों में शामिल रहे:

 

  •  दूध उत्पादन एवं संबंधित उत्पाद उद्योग
  • बिहार फिल्म सिटी की स्थापना में निवेश
  •  बिजली संबंधित उत्पादों की मैनुफैक्चरिंग यूनिट
  •  फर्नीचर, एजुकेशनल इंस्टिट्यूट, और हॉस्पिटल सेक्टर
  •  लेदर के सामान का निर्माण एवं निर्यात
  •  गन्ना उद्योग का विस्तार

 बिपिन कुमार झा (निदेशक, रोबोटिक्स प्रोग्राम और कोलोरेक्टल सर्जरी, सवेरा कैंसर एंड मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल) ने रोबोटिक्स सर्जरी की अहमियत को रेखांकित करते हुए इसमें निवेश करने और सरकार के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की।

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सिद्धार्थ लधानी (निदेशक, कोका कोला एसएलएमजी) ने बिहार सरकार के साथ सहयोग करने की इच्छा ज़ाहिर की और अपने प्रस्तावित उद्योग की रूपरेखा पर चर्चा की।

यशपाल साचर (वाईस प्रेसिडेंट, अशोक लेलैंड) ने इलेक्ट्रिक बस के लिए मैनुफैक्चरिंग यूनिट लगाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बिहार में परिचालित 'पिंक बस' को देखते हुए महिलाओं के लिए ड्राइविंग स्कूल की स्थापना की जा सकती है।
निवेशकों ने सरकार से आयात-निर्यात प्रक्रियाओं में भी सहयोग की माँग की।

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मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने सभी निवेशकों का उत्साहपूर्वक स्वागत किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि 'उद्योग वार्ता' राज्य सरकार को अच्छे और गंभीर निवेशकों के साथ सीधे काम करने का अवसर प्रदान करेगी और सरकार की ओर से उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

अमृत ने जोर देकर कहा कि बिहार के समग्र विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि निवेश को बढ़ावा देने के लिए किसी भी प्रकार की नई नीति लानी पड़ेगी या पुरानी नीतियों में संशोधन की आवश्यकता होगी, तो राज्य सरकार बिना किसी विलंब के वह करेगी।

जिन निवेशकों को ज़मीन की आवश्यकता थी या अन्य दिक्कतें आ रही थीं, उनके मामलों को मुख्य सचिव ने गंभीरता से सुना और तत्काल संबंधित विभागों को कार्यवाही के लिए निदेश दिए एवं अन्य मामलों में आवश्यक दस्तावेज़ों की माँग की। यह बैठक 'उद्योग वार्ता' को बिहार में निवेश करने के इच्छुक या उद्योग स्थापित करने के दौरान कठिनाई का सामना कर रहे सभी निवेशकों के लिए एक समर्पित 'वन-स्टॉप सॉल्यूशन' साबित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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बिहार सरकार की यह 'उद्योग वार्ता' पहल राज्य की उत्कृष्ट और निवेशक-हितैषी औद्योगिक नीति को क्रियान्वित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। पारदर्शिता, गति और सीधे संवाद के इस मॉडल के माध्यम से, बिहार सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य में उद्योगों की स्थापना को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। यह दूरदर्शी पहल बिहार को देश के औद्योगिक मानचित्र पर एक प्रमुख गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री के संकल्प को मजबूत करती है।

इस महत्वपूर्ण बैठक में उद्योग विभाग के सचिव, कुंदन कुमार, निदेशक, मुकुल कुमार गुप्ता, ऊर्जा विभाग के सचिव, मनोज कुमार सिंह, और गन्ना कमिश्नर, बिहार, अनिल कुमार झा भी उपस्थित रहे, जो इस पहल की गंभीरता और बहु-क्षेत्रीय सहयोग को रेखांकित करता है।

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