Edited By Harman, Updated: 11 Dec, 2025 12:05 PM

ECHS: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। केंद्र सरकार ने CGHS और ECHS से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्र सरकार की एक्स-सर्विसमेन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) ने इलाज के कीमतों...
ECHS: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए एक बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है। केंद्र सरकार ने CGHS और ECHS से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्र सरकार की एक्स-सर्विसमेन कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम (ECHS) ने इलाज के कीमतों में बड़ा बदलाव किया है। रक्षा मंत्रालय ने सभी अस्पतालों और लाभार्थियों के लिए संशोधित CGHS और ECHS पैकेज दरें लागू करने का आदेश जारी कर दिया है। ये नई दरें 15 दिसंबर 2025 से लागू होंगी।
पुराने करार होंगे खत्म
बता दें कि सभी पुराने करार (MoA) 15 तारीख को आधी रात को खत्म हो जाएंगे। अब सभी निजी अस्पतालों को फिर से पैनल पर बने रहने के लिए डिजिटल आवेदन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। जो अस्पताल समय पर दस्तावेज नहीं जमा करेंगे, वे अपने आप ही पैनल से बाहर मानें जाएंगे।
पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को मिलेगा सीधा लाभ
नई दरों का लाभ प्रत्यक्ष रुप से उन पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को मिलेगा जो ईसीएचएस-पैनलबद्ध अस्पतालों में इलाज कराते हैं। नए नियमों के तहत सभी ओपीडी और आईपीडी सेवाएं और मेडिकल रीइम्बर्समेंट दावों पर सीधे CGHS की नई दरें लागू होंगी। साथ ही, सर्विस पेंशनर्स और अन्य पात्र लाभार्थियों को कैशलेस इलाज की सुविधा पहले की तरह जारी रहेगी। वहीं अस्पताल और शहर के अनुसार मेडिकल खर्च सुनिश्चित किया जाएगा।
क्यों किया गया बदलाव?
ECHS देशभर में लाखों पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को सेना के अस्पतालों, पॉलीक्लिनिक और निजी अस्पतालों में इलाज की सुविधा देता है। नई दरों से व्यवस्था मजबूत होगी। हर मरीज को जानकारी रहेगी कि किस शहर और किस अस्पताल में कितना खर्च तय है। इलाज करवाना और भी आसान और पारदर्शी हो जाएगा। वहीं पेंशनर और सरकारी कर्मचारी भी चाहते थे कि बिलिंग में पारदर्शिता हो और अगर अस्पताल इलाज से मना करे तो जवाबदेही तय हो। जिस कारण नए नियम लाए गए। इधर दूसरी तरफ पुराने रेट्स को लेकर अस्पताल लंबे समय से शिकायत कर रहे थे कि इलाज की लागत बढ़ने के बावजूद भुगतान दरें अपडेट नहीं हुई थीं। खर्चों में पारदर्शिता लाने, डिजिटल क्लेम प्रोसेस को बढ़िया बनाने और अस्पतालों की जवाबदेही तय करने के मकसद से नए नियम लाए गए है।