चिराग के दोस्त सौरभ ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर तोड़ी चुप्पी, पशुपित पारस को पत्र लिख दिया जवाब

Edited By Ramanjot, Updated: 23 Oct, 2021 03:41 PM

chirag s friend saurabh pandey responded to the allegations

सौरभ पांडे ने केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के लगभग एक वर्ष के बाद लिखे अपने तीन पृष्ठों के पत्र को...

पटनाः लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा-रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं बिहार के जमुई से सांसद चिराग पासवान के करीबी दोस्त और बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के आकिर्टेक्ट कहे जाने वाले सौरभ पांडे ने केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस (चाचा) को पत्र लिखकर अपने ऊपर लगे आरोपों पर पहली बार जवाब देते हुए उनसे सवाल भी पूछा है। 

सौरभ ने जारी किया 3 पृष्ठों का पत्र 
सौरभ पांडे ने केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के लगभग एक वर्ष के बाद लिखे अपने तीन पृष्ठों के पत्र को शनिवार को मीडिया में जारी किया है। पत्र में लोजपा संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के कार्यकाल, उनकी राजनीति की यात्रा से लेकर उनके निधन की परिस्थितियों तथा फिर पार्टी में हुई टूट तक पर अपनी बातें सिलसिलेवार ढंग से रखी है। साथ ही सांसद चिराग पासवान को अपनी तरफ से दिए गए सहयोग को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की है। 

बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के मूल में छुपा है भारत फर्स्ट 
पत्र में लिखा है कि बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के मूल में भारत फर्स्ट छुपा हुआ है और यह चाचा पारस को समझ लेना चाहिए। पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में 14 अप्रैल 2020 को होने वाली रैली में लोजपा संस्थापक रामविलास पासवान स्वयं बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट विजन 2020 को जारी करने वाले थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। बावजूद इसके सांसद चिराग पासवान ने इस मिशन को आगे जारी रखा। इस अभियान से न कोई समझौता किया और न ही केंद्र में मंत्री बनने की कोई परवाह ही की। 


LJP को अपने बल पर प्राप्त हुआ लोगों का समर्थन
सौरभ पांडे ने लिखा है कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा को अपने बल पर लोगों का समर्थन और मत प्राप्त हुआ न कि किसी गठबंधन के बल पर। चाचा पारस अपने कृष्णा राज को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से चुनाव लड़ाना चाहते थे और इसी से विवाद की शुरुआत हुई। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर से घटक लोजपा 15 सीट दिए जाने की बात पारस को बताई गई थी लेकिन उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया था। बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट के मिशन को 15 सीट पर चुनाव लड़कर कैसे पूरा किया जा सकता था। 

पिता के निधन के बाद अकेले पड़ गए थे चिराग 
सौरभ पांडे ने लिखा कि सांसद चिराग पासवान अपने पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन के बाद अकेले पड़ गए थे लेकिन इस कठिन दौर में भी चाचा पारस का साथ उन्हें नहीं मिल सका। चाचा पारस के लिए भतीजा चिराग पासवान और उनकी मां से हमेशा ही अच्छा सुनने को मिला। लोजपा संस्थापक के निधन के बाद सांसद चिराग पासवान जब अकेले हो गए तब ऐसे समय में एक मित्र और भाई होने के नाते वह उन्हें अकेला छोड़ देते। बिहार के लिए सांसद पासवान का साथ देना बेहद ही जरूरी था।

 

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